खुशनुमा जिंदगी के लिए इन 4 की सोच से रहें दूर

Saturday, May 09, 2015 - 04:08 PM (IST)

आचार्य चाणक्य की नीतियां जीवन पथ पर भटके किसी भी मनुष्य के लिए मार्गदर्शन का काम करती हैं। जीवन के किसी भी पग पर इन नीतियों का अनुसरण करने से आने वाले कल को सुख-सुविधा संपन्न बनाया जा सकता है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता अर्जित की जा सकती है।

आचार्य चाणक्य की नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है और साथ ही, उज्जवल भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। 

आचार्य चाणक्य कहते हैं-

कवय: किं न पश्यन्ति किं न कुर्वन्ति योषित:।

मद्यपा किं न जल्पन्ति किं न खादन्ति वायसा:।।

आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि कवि की सोच पर कोई रोक नहीं होती। जिस स्थान तक भगवान सूर्यनारायण भी नहीं पहुंच सकते उस स्थान तक कवि की सोच अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती है। जहां तक व्यक्ति की सोच नहीं जा सकती वहां कवि अपनी कविताओं के माध्यम से पहुंच जाता है।

नशा एक ऐसी लत है जिसमें इंसान अपना-अच्छा बुरा और सोचने-समझने की क्षमता तक भुल जाता है। जब नशा सिर चढ़ कर बोलने लगता है तो व्यक्ति सारी मर्यादाओं का उल्लघन कर देता है। नशेड़ी व्यक्ति को मारने या डांटने-डपटने से भी कोई लाभ नहीं होता। वह सोच से परे कोई भी काम कर सकता है। 

कौआ ऐसा पक्षी है जिसमें सोचने-समझने और विचार करने की शक्ति नहीं होती। वह कुछ भी खा पी जाता है। कौए की प्रकृति से यह नसीहत लेनी चाहिए कि कुछ भी खाने-पीने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। जो चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं उनसे बचना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुषों के अनुपात में महिलाएं अधिक अविवेकी होती हैं। पुरुष कोई भी आशंका से भरा कार्य करने से पूर्व बहुत बार विचार करते हैं, जबकि अधिकतर महिलाएं उतावलेपन में आकर कोई भी कार्य बिना विचार किए ही कर बैठती हैं बाद में उन्हें समस्याओं से रू-ब-रू होना पड़ता है। अविवेकी होना भी एक बुराई है और इससे बचने का प्रयास करना चाहिए।

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