लक्ष्मीनारायण के विवाहोत्सव और पीपलपूर्णिमा पर करें खास उपाय

Monday, May 04, 2015 - 01:57 PM (IST)

मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च। नारायणस्तु शाखासु पत्रेषु भगवान् हरि: ।।

फलेऽच्युतो न संदेहः सर्वदेवै: समन्वितः । स एव विष्णुर्द्रुम एव मूर्तो महात्मभि सेवित पूण्यमूलः ।। यस्याश्रयः पापसहस्रहन्ता भवेनृणां कामदुधो गुणाढ़्हः

आर्थात पीपल वृक्ष की जड़ में स्वयं भगवान विष्णु निवास करते हैं। पीपल वृक्ष के तने में स्वयम केशव निवास करते हैं। पीपल वृक्ष की शाखाओं में स्वयं नारायण निवास करते हैं। पीपल वृक्ष के पत्तों में स्वयं भगवान हरी निवास करते हैं। पीपल वृक्ष के फल में स्वयं भगवान अच्युत निवास करते हैं। तथा संपूर्ण पीपल के वृक्ष में सैदेव सर्व देवताओं युक्त स्वयं परमेश्वर निवास करते हैं।

आज सोमवार दिनांक 04.05.2015 को वैशाख शुक्ल पूर्णिमा है तथा इसे पीपल पूनम व बुद्धपूर्णिमा भी कहा जाता है। यह गौतमबुद्ध की जयंती भी है और उनका निर्वाण दिवस भी। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अत: हिंदूओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। इसी कारण बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिंदू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। 

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को उत्तर भारत मे पीपल पूर्णिमा व सत्य विनायक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मतानुसार आज ही के दिन भगवान विष्णु व लक्ष्मी का विवाह हुआ था तथा द्वापर मे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दरिद्र मित्र सुदामा को सत्यविनायक पूर्णिमा का विधान बताया था जिससे सुदामा की दरिद्रता दूर हुई थी। पीपल को संस्कृत में अश्वत्थ कहा जाता है। पुराणों में पीपल (अश्वत्थ) का बड़ा महत्व बताया गया है। पीपल पूर्णिमा को ग्रह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, शिलान्यास, कुआं प्रतिष्ठान मुहूर्त करना श्रेष्ठ है। इस दिन शादी समारोह की भी धूम रहेगी।

उपाय: दुर्भाग्य से मुक्ति पाने के लिए भगवान लक्ष्मीनारायण के चित्र या मूर्ती पर पीपल के पत्तों की माला चढ़ाएं।

आचार्य कमल नंदलाल 

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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