जानिए घर के किन वास्तुदोषों से होता है कैंसर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 21, 2015 - 12:15 PM (IST)

वर्तमान में बन रहे घरों की बनावट पुराने जमाने की तरह आयताकार न होकर अनियमित आकार की हो रही है, जिसमें घर का कोई कोना दबा दिया जाता है या कोई कोना बाहर निकाल दिया जाता है। जिससे घर का कोई भाग ऊंचा तो कोई भाग नीचा बनाया जाता है। ऐसी अनियमित बनावट के कारण घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। इसी कारण दुनिया में हर प्रकार के रोग बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि वास्तु का रोगों से अभिन्न सम्बन्ध है। 

घरों के वास्तुनुकूल निर्माण न होने के कारण ही कैंसर ने महामारी का रुप ले लिया है। जिन घरों में किसी भी प्रकार के कैंसर के मरीज हैं, उनके घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं, जिसमें से एक वास्तुदोष ईशान कोण वाले भाग में अवश्य होता है, जैसे - घर का ईशान कोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या जरुरत से ज्यादा ईशान कोण का बढ़ा हुआ होना या घर की अन्य दिशाओं की तुलना में ईषान कोण का ऊंचा होना इत्यादि जबकि ईशान कोण 90 डिग्री में होना चाहिए और इस भाग का फर्श घर के बाकी फर्श के समान समतल या उससे नीचा होना चाहिए।

शरीर के किस भाग में कैंसर है या हो सकता है, यह निर्भर करता है घर के दूसरे वास्तुदोष पर जो कि घर की दक्षिण, पश्चिम दिशा या आग्नेय, वायव्य और नैऋत्य कोण में ही कहीं होता है, जो कि इस प्रकार है -

१ ब्रेन कैंसर:- वायव्य, उत्तर, ईशान व पूर्व दिशा का ऊंचा होना एवं आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम में भूमिगत पानी का स्रोत होना या नीचा होना या बढ़ा हुआ होना।

२ ब्लड कैंसर:- नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होना, नैऋत्य बहुत नीचा होना या बढ़ा हुआ होना, साथ ही अन्य दिशाएं ईशान कोण की तुलना में नीची होना।

३ ब्रेस्ट कैंसर:- पूर्व आग्नेय में भूमिगत पानी का स्रोत जैसे टंकी, बोर, कुंआ इत्यादि का होना या नीचा होना व अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण ऊंचा होने पर होता है।

४ यूट्रस कैंसर:- दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होना होता है।

५ पेट का कैंसर:- पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होना, यही भाग किसी भी प्रकार ईशान कोण की तुलना में नीचा या बढ़ा हुआ होने पर होता है।

६ किडनी का कैंसर:- पश्चिम और नैऋत्य कोण में पानी का स्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होना।

७ छाती एवं फेफड़े का कैंसर:- उत्तर एवं उत्तर वायव्य का बन्द होना, पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होना।

८ सिर, गले व मुंह का कैंसर :- आवश्यकता से अधिक ऊंचा और बढ़ा हुआ ईशान कोण होना एवं पश्चिम दिशा का किसी भी प्रकार से अधिक नीचा होना।

९ आंत का कैंसर:- पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होने पर होता है।

यदि घर में कोई पहले से ही कैंसर का मरीज हो तो मेरी यह सलाह है कि, मरीज का योग्य डाक्टर से उचित ईलाज करवाते रहे। इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें परन्तु साथ ही किसी योग्य वास्तु कन्सलटेन्ट को बुलाकर अपने घर को अवश्य दिखलाएं ताकि, घर में जो वास्तुदोष है उन्हें दूरकर दोषों से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सके। 

वास्तुदोष दूर होने से मरीज पर दवाईयां अपना अच्छा प्रभाव देने लगती हैं। अतः जिन घरों में कैंसर के मरीज है उन्हें अपने घर के वास्तुदोषों को अवश्य दूर करवाना चाहिए ताकि मरीज अपना शेष जीवन आराम से व्यतीत कर सके और कहीं इन्हीं वास्तुदोषों के कारण भविष्य में घर का कोई अन्य सदस्य कैंसर का शिकार न बने।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in 


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