इन तिथियों का लाभ लेना न भूलें

Tuesday, Apr 21, 2015 - 08:55 AM (IST)

21 अप्रैल : अक्षय तृतीया (पूरा दिन शुभ मुहूर्त, सर्व कार्य सिद्ध करने वाली तिथि), त्रेता युगादि तिथि (प्रात: पुण्यस्नान, अन्न-जल दान, जप, तप, हवन आदि शुभ कर्मों का अक्षय फल), मंगलवारी चतुर्थी (शाम 5.06 से 22 अप्रैल सूर्योदय तक)

26 अप्रैल : रविपुष्यामृत योग (सूर्योदय से दोपहर 3.55 तक)

29 अप्रैल : मोहिनी एकादशी (अनेक जन्मों के किए हुए मेरु पर्वत जैसे महापापों एवं सब प्रकार के दुखों का नाशक व्रत)

1 से 4 मई : वैशाख मास की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक के प्रात: पुण्य स्नान से सम्पूर्ण मास-स्नान का फल व गीता-पाठ से अश्वमेध यज्ञ का फल।

10 मई : रविवारी सप्तमी (सुबह 6.46 से 11 मई प्रात: 5.04 तक)

14 मई : अपरा एकादशी (बहुत पुण्य प्रदान करने वाला और बड़े-बड़े पातकों का नाशक व्रत। माहात्म्य पढऩे और सुनने मात्र से सहस्र गोदान का फल)।

15 मई : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से सुबह 10.38 तक) (जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना।-पद्म पुराण।

18 मई : सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से सुबह 9.45) (तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है। पीपल वृक्ष को प्रणाम करने से मौन होकर स्नान और एक हजार गौओं का दान करने के समान फल मिलता है)।

Advertising