पारिवारिक शांति-स्नेह बढ़ाने के लिए सास-बहू मिलकर करें कुछ खास

Monday, Mar 30, 2015 - 07:49 AM (IST)

सामूहिक रूप से रहने वाले सदस्यों को परिवार की संज्ञा दी जाती है, परिवारों के समूह को समाज कहते हैं और उत्कृष्ट समाज से सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण होता है। परिवार और समाज अगर एक ही सूत्र में और एक ही विचारधारा में बंधे परस्पर एक-दूसरे की भावना का आदर करने वाले हों और परिवारों में अनुशासन हो तो परिवार का संगठन सुदृढ़ होता है। सुदृढ़ परिवार से समृद्ध परिवार, समृद्ध समाज और राष्ट्र में भी स्वत: समृद्धि होती है। 

यही मूल आधार है- पारिवारिक एकता का। विशेषकर जब एक घर की पुत्री दूसरे घर में बहू बन कर जाती है अथवा घर का पुत्र दूसरे घर का दामाद बनता है तो उसके सास-ससुर भी माता-पिता के तुल्य हो जाते हैं।
 
किसी भी जन्म कुंडली अथवा लग्र कुंडली से मात्र जातक के निजी व्यक्तित्व अथवा भविष्य के बारे में ही फलादेश नहीं मिलता, जन्मकुंडली में 12 भाव (खाने) आपके निजी व्यक्तित्व भाग्य, कर्म को ही प्रदर्शित नहीं करते बल्कि आपके निजी और पारिवारिक संबंधों में निकटता अथवा वैमनस्य को भी इंगित करते हैं। 
 
जब किसी बहू की कुंडली में चौथे भाव (सुख स्थान) में क्षीण चंद्रमा हो, लग्र का स्वामी ग्रह का चौथे, 7वें-दसवें घर से तालमेल  न हो, सप्तमेश भी निर्बल हो, ग्रहों की पारस्परिक मित्रता न हो, चंद्रमा से पहले शुभ ग्रह न हो अथवा चंद्रमा दुष्ट ग्रह संग हो तो ऐसी जातिका का ससुराल पक्ष से वैमनस्य होता है, ससुराल सुख क्षीण होता है।
 
जब ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियां बन जाएं-वातावरण अशांत हो जाए तो दोनों सास-बहू अपने कानों में उगंलियां डाल लगातार 
 
‘शांतम् पापम्’ 
 
का मन ही मन उच्चारण करें और फिर  5 बार अंजलि में जल भर कर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए छींटे मारें अथवा बहू नित्य सुबह उठते ही अपने मुंह पर अंजलि में जल भर छींटे मारते हुए 31 बार 
 
ॐ  सर्वजन वशमनाय वशमनाय कुरु कुरु स्वाहा’ 
 
का मंत्र जाप करे। हो सके तो दिन में एक माला गायत्री और एक बार एक माला इस मंत्र की करने से पारिवारिक शांति-स्नेह बढ़ेगा।
Advertising