गुणों की पहचान करने का सरलतम माध्यम

Sunday, Mar 29, 2015 - 11:06 AM (IST)

पर-प्रोक्तगुणो यस्तु निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्।

इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुण:।।

अर्थ : दूसरों के द्वारा गुणों का बखान करने पर बिना गुण वाला व्यक्ति भी गुणी कहलाता है, किंतु अपने मुख से अपनी बड़ाई करने पर इन्द्र भी छोटा हो जाता है।।8।।

भावार्थ : भाव यह है कि आत्म प्रशंसा से कोई व्यक्ति बड़ा नहीं कहलाता, अपितु जब दूसरों के द्वारा प्रशंसा की जाती है, तभी वह गुणी कहलाता है। ‘अपने मुंह मियां मिट्ठू नहीं बनना चाहिए। जिन गुणों की प्रशंसा दूसरे करते हैं, वे ही गुण सच्चे होते हैं।

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