जिस घर में परम्पराएं, नीति, नियम, प्यार और सबका सम्मान होता है, वह स्वर्ग है : कृष्ण विज

Saturday, Mar 28, 2015 - 09:19 AM (IST)

श्री रामशरणम् आश्रम 17- लिंक रोड द्वारा साईं दास स्कूल में आयोजित रामायण यज्ञ के दौरान श्री कृष्ण विज ने कहा कि जिस घर में नीति है, परम्पराए हैं, नियम है, प्यार है, भेदभाव नहीं है, सबका मान-सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग के समान है। स्वामी सत्यानंद जी द्वारा रचित रामायण की चौपाइयों के श्रीमती रेखा विज द्वारा किए उच्चारित श्लोकों की व्याख्या में श्री कृष्ण विज ने कहा कि राम जी की सेना समुद्र के इस पार बैठकर लंका जाने की तैयारी में लग गई। 

उधर जब रावण को पता चलता है कि समुद्र पार चारों तरफ राम जी की सेना युद्ध के लिए तैयार बैठी है तो रावण अपने मंत्री को बुलाता है और सभा में कहता है, ‘‘जब भी हम पर किसी प्रकार की विपदा आई है, आप लोगों ने नेक सलाह दी, साथ दिया है।’’ 

श्री कृष्ण विज ने कहा कि जो लोग साथियों से सलाह-मशविरा कर चलते हैं, वे बुद्धिमान हैं, जिसे अपनी बुद्धि पर धमंड है वह मध्यम है और जो किसी की बात नहीं मानता, जहां वाद-विवाद होता है, वह अधम है। उन्होंने कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि रावण की भरी सभा में सभी मंत्री विचार-विमर्श कर रहे थे, तभी विभीषण ने कहा, हे भ्राता- दुश्मन वह कमजोर होता है जो व्यसनी, रोगी, कायर, कुकर्म करने वाला हो लेकिन श्री राम इन सबसे परे हैं इसलिए सीता माता को ले जाकर उन्हें सौंप कर उनके चरणों में गिरकर माफी मांग लें। 

उधर श्री राम जी के दूत के रूप में अंगद रावण के दरबार में आता है और उथल-पुथल कर देता है। अंगद रावण को संदेश देता है कि अभी तुम्हारे पास रास्ता है, सीता माता को वापस कर राम जी के क्षमा याचना कर लो लेकिन रावण चिल्ला उठता है और उसे पकडऩे के लिए कहा है। श्री कृष्ण विज ने कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि रावण के दरबार से जाने से पहले अंगद ने कहा कि मैं तुम्हें रास्ता बताने आया था। कथा का विश्राम ‘सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम:’ से हुआ। 

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