मां ने बनाया अपने बेटे को चोर क्योंकि...

Friday, Mar 27, 2015 - 11:44 AM (IST)

यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जो बचपन में बहुत होनहार था लेकिन वह स्कूल में गलत बच्चों की संगत में पड़ जाता है और वह स्कूल के बच्चों की कापी-पैंसिल जैसी छोटी-छोटी चोरियां शुरू कर देता है। उसकी मां को जब यह बात पता चल जाती है तो वह उसे रोकने की बजाय उसे और प्रोत्साहन देती है तथा उसे अपने लड़के के इस काम से खुशी होती है, वह इसलिए कि उसे पढ़ाई करने का सामान खरीदना नहीं पड़ता था।

लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया तो काम भी उसके बड़े होते गए। धीरे-धीरे उसने बड़ी चोरियां, मर्डर जैसे काम करने शुरू कर दिए।
 
उसकी मां उसके इस काम से बड़ी खुश रहती थी क्योंकि उसको शानो-शौकत की जिंदगी जीने को मिल रही थी। एक दिन ऐसा आया कि वह बड़ी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया और उसे जज के सामने पेश किया गया। उसे जज ने एक कठोर सजा सुनाई जो कि फांसी थी।
 
उसे अब भूल का अहसास हुआ लेकिन अब क्या हो सकता था। उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई। उसने आखिरी इच्छा में अपनी मां को मिलने की ख्वाहिश जाहिर की।  उसकी मां को बुलाया गया। उसकी मां उसे जेल में देख कर बहुत दुखी हुई तो उसके लड़के ने जवाब दिया, ‘‘अगर मुझे बचपन में जब मैंने पहली बार स्कूल में चोरी की थी तब अगर मुझे उसी दिन एक तमाचा खींच कर मार दिया होता तो मैं आज यहां नहीं होता और तुझे यह दिन देखना नहीं पड़ता।’’
 
उसकी मां को बहुत पछतावा हुआ लेकिन यही कहावत हुई कि‘अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गई खेत।’
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