हिंदू नव वर्ष का आरंभ राजा बनेंगे शनि और मंत्री मंगल होंगे

Saturday, Mar 21, 2015 - 08:18 AM (IST)

 विक्रमी संवत् 57 वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है। इसके प्रणेता उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य रहे हैं। इसका आधार सौर चंद्र गणना है जिसका आरंभ चैत्र  शुक्ला प्रतिपदा से है। चैत्र ही ऐसा एकमात्र मास  है जिसमें प्रकृति पल्लवित एवं पुष्पित होती है। अंग्रेजी नववर्ष रात्रि के समय आरंभ होता है जबकि भारतीय नव-संवत्सर सूर्योदय से आरंभ होता है जो अधिक  वैज्ञानिक तथा प्रकृति के निकट है। महाराष्ट्र में आज के दिन को गुड़ी पड़वा कहा जाता है। विक्रमी संवत के अलावा शक् संवत्, ग्रिगेरियन, वीर और हिजरी संवत् आदि का भी प्रचलन है। सृष्टि निर्माण की तिथि भी आज ही मानी गई है और आज के दिन से ही आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा नवरात्रे के रूप में होती है।

21 मार्च, 8 चैत्र, शनिवार को कीलक नामक नया विक्रमी संवत 2072 आरंभ हो रहा है जिसमें राजा शनि और मंत्री मंगल होंगे। जब भी संवत् में राजा शनि होता है तो बे-मौसम वर्षा व बाढ़ अवश्य आती है और मौसम का मिजाज अप्रत्याशित तथा अकल्पनीय होता है जैसा कि इसका प्रभाव पहली मार्च से ही दिखना आरंभ हो गया था और मार्च में वर्षा तथा बर्फबारी के कई साल पुराने रिकॉर्ड टूट गए। 

शनि के कारण नए रोग व अजीबो-गरीब बीमारियां उत्पन्न होने की आशंका रहती है। इस साल स्वाइन फ्लू का दबदबा रहेगा। शनि ग्रह,नेताओं में आपसी मतभेद, वैमनस्य, तनावपूर्ण संबंध, विक्षुब्ध वातावरण, विरोध , टकराव, अपमानित करने जैसे कृत्य करवाता है। दिल्ली और कश्मीर की सरकारों का उदाहरण सामने है। इस्लामी देशों में युद्धमय वातावरण के कारण तथा भारत के किसी भाग में भी जनता का पलायन हो सकता है।

संवत् का मंत्री मंगल हो तो आतंकवाद, चोरी, आगजनी, लूट, अग्निकांड, विस्फोट, वायु दुर्घटनाएं, रेल हादसे, हिंसक उपद्रव  आदि की बहुतात रहती है। इस बार राजा व मंत्री परस्पर एक-दूसरे के शत्रु हैं, अत: धार्मिक उन्माद, हिंंसक उपद्रव, संसद में कोहराम , किसी प्रिय नेता या प्रसिद्ध हस्ती से विछोह, भूकम्प, बाढ़, मुस्लिम देशों के आतंक से, शांति प्रिय देशों में अशांति, पैट्रोल, डीजल, सोने, गेहूं तथा अन्य पीले रंग की वस्तुओं की कीमतों में अचानक वृद्धि से मंहगाई बढऩे के आसार बने रहेंगे। पड़ोसी देश, कश्मीर, मुस्लिम बाहुल क्षेत्रों में विद्रोह, उपद्रव, युद्ध जैसी स्थिति मंत्री मंगल के कारण बन सकती है।

इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र का वास समुद्र में होने के कारण, बाढ़, ज्वारभाटा, सुनामी , अतिवृष्टि जैसे हालात रहेंगे। नव वर्ष का भविष्य इस तथ्य पर भी निर्भर करता है कि सूर्य आद्र्रा नक्षत्र में कब प्रवेश करेगा। इससे वर्षा एवं वायुमंडल की भविष्यवाणी की जाती है।  इस वर्ष यह योग 22 जून को 16 बज कर 46 मिनट पर बनेगा जिसके फलस्वरूप  मौसम अकल्पनीय तथा कहीं वर्षा कहीं सूखे जैसी हालत बनेगी।  दक्षिणी तटीय राज्यों को जुलाई के बाद सतर्क रहना चाहिए ताकि समुद्री तूफानों से जान-माल की हानि न हो। कृषि उत्पादन अच्छा होगा।

14 जुलाई  को गुरु सिंह राशि में आ जाने से कृषि उत्पाद बढ़ेगा ,विदेशी निवेश में भी वृद्धि होगी। इस बार बुधवार को दीवाली होने से व्यापार वृद्धि, सुख-समृद्धि, औद्योगिक उत्पादन, शेयर मार्कीट , परमाणु ऊर्जा, शिक्षा आदि के क्षेत्रों में आशातीत सफलता मिलेगी।

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