कैसे करें पहचान कौन सा प्लाट आपके लिए लाएगा शुभता की सौगात

Saturday, Mar 14, 2015 - 10:54 AM (IST)

इन दिनों हमारे देश में बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा हाउस एवं व्हीकल लोन बहुत ही सुलभ तरीके से मिलने लग गए हैं। इस सुविधा के कारण भारत के सभी शहरों में मध्यमवर्गीय परिवारों में अपने स्वयं का मकान बनाने एवं व्हीकल रखने की चाह बढ़ गई है।

परिणामस्वरुप शहरों में प्रापर्टी की कीमतें आसमान छू रही हैं इसलिए छोटे आकार के प्लाट पर ही मकान बनाए जा रहे हैं। महंगे प्लाट की एक-एक इंच जगह का उपयोग करने के लालच में भवन निर्माण करते समय वास्तु शास्त्र के सिद्धान्तों की अवहेलना की जाती है। जहां सभी भवन निर्माता मकानों के मुख्यद्वार के सामने खुली जगह में स्कूटर, कार इत्यादि सुरक्षित रखने के लिए खुले स्थान का उपयोग गैराज बनाने के लिए करते हैं। कई लोग इस स्थान का उपयोग दुकान, आफिस, ब्यूटीपॅर्लर, कम्प्यूटर सेन्टर इत्यादि अन्य व्यवसाय के लिए भी करते हैं। जो वर्तमान समय की आवश्यकता भी है, इस कारण प्लाट में खाली स्थान छोड़ने का मन नहीं करता है।

आजकल मकान बनाने के उपरोक्त चलन को देखते हुए पूर्व या उत्तरमुखी भवन वास्तुनुरूप बनाना सम्भव ही नहीं है। चाहे भवन निर्माण में वास्तु सिद्धान्तों का पालन कितना ही क्यों न किया गया हो पर ऐसे बने भवन का ईशान कोण कट जाता है, जिसका कुप्रभाव वहां रहने वालों पर पड़ता ही है।

इसके विपरीत दक्षिण व पश्चिममुखी भवन का निर्माण वास्तुनुरूप किया जा सकता है, क्योंकि यहां दुकान, आफिस, ब्यूटीपार्लर इत्यादि बनाने से ईशान कोण बढ़ जाता हैं। वास्तुशास्त्र में ईशान कोण का बढ़ना शुभ माना जाता है और वहां रहने वाले सुख-समृद्धि भरा जीवन व्यतीत करते हैं। इसी के साथ उत्तर व पूर्वमुखी प्लाट पर एक समस्या और आती है कि, लगभग हर घर में एक अण्डरग्राउण्ड वाटर टैंक और एक सेप्टिक टैंक बनाना पड़ता है। 

सामान्यतः लोग पूर्व व उत्तर में अण्डरग्राउण्ड वाटर टैंक बनाते हैं और सेप्टिक टैंक पीछे की तरफ दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनाते हैं। सेप्टिक टैंक किसी भी घर के अगले भाग में बनाना पसंद नहीं किया जाता। उत्तर पूर्व में स्थित अण्डरग्राउण्ड वाटर टैंक अत्यन्त शुभ होते हैं व दक्षिण व पश्चिम में सेप्टिक टैंक अत्यन्त अशुभ होते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार किसी भी प्रकार के भूमिगत टैंक का स्थान लगभग मध्य पूर्व से लेकर मध्य उत्तर तक ही रहता है।

यदि प्लाट दक्षिण या पश्चिममुखी हो तो मध्य पूर्व से लेकर मध्य उत्तर तक कहीं भी फ्रेश अण्डरग्राउण्ड वाटर टैंक व सेप्टिक टैंक बनाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सेप्टिक टैंक घर के पिछले भाग में वास्तुनुकूल स्थान पर बन जाता है। यदि किसी के घर में यह दोनों टैंक सही जगह बन जाएं तो उनका जीवन निश्चित ही सुखद एवं सरल होता है।

जन-सामान्य में यह धारणा है कि, उत्तर व पूर्वमुखी मकान ही शुभ होते हैं, क्योंकि शास्त्रों में इसका जिक्र भी आया है। पर जब यह शास्त्र लिखे गए उस समय पीने का पानी नदी या तालाब से भर कर लाया जाता था और शौच के लिए जंगलों में जाया जाता था। उन दिनों किसी भी प्रकार के भूमिगत टैंक घरों में नहीं होते थे जो अपना शुभ या अशुभ प्रभाव दिखा सकें इसलिए कह सकते हैं कि, छोटे प्लाट्स पर मकान

 बनाते समय वर्तमान समय की आवश्कताओं को देखते हुए दक्षिणमुखी या पश्चिममुखी प्लाट पर पूर्वमुखी या उत्तरमुखी प्लाट की तुलना में ज्यादा वास्तुनुकूल भवन निर्माण किया जा सकता है।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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