अपने परिवारिक प्रेम को परखें

punjabkesari.in Tuesday, Mar 03, 2015 - 11:25 AM (IST)

परिवार सामाजिक व्यवस्था की नींव है। जीवन की शुरुआत से हर छोटी-बड़ी घटनाओं में केवल आपका परिवार ही एक मजबूत आधार प्रदान करता है जिसके बिना आपकी पहचान सीमित हो जाती है। क्या आपने कभी विचार किया है की वास्तव में आपका परिवार आपसे प्रेम करता है या मात्र दिखावा है। अपने परिवारिक प्रेम को परखें, इस नश्वर संसार में कोई किसी का नहीं होता। आपके कर्म ही आपको महान बनाते हैं, जो आपके साथ हमेशा रहते हैं। इसलिए अच्छे कर्म करते हुए अपने इसी जन्म को मृत्युंजयी बनाएं। 

 एक बार इटली के संत फ्रांसिस के पास एक युवक सत्संग सुनने के लिए आया। संत ने उससे हाल-चाल पूछा, तो उसने स्वयं को अत्यंत सुखी बताया। वह बोला, ‘‘मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों पर बड़ा गर्व है। मैं उनके व्यवहार से संतुष्ट हूं।’’

 संत बोले, ‘‘इस दुनिया में अपना कोई नहीं होता। उनके प्रति मोह या आसक्ति रखना उचित नहीं।’’ 

युवक को संत की बात ठीक नहीं लगी। उसने कहा, ‘‘आपको विश्वास नहीं कि मेरे परिवार के लोग मुझसे अत्यधिक स्नेह करते हैं। यदि मैं एक दिन घर न जाऊं, तो उनकी भूख-प्यास, नींद उड़ जाती है और पत्नी तो मेरे बिना जीवित भी नहीं रह सकती है।’’

 संत बोले, ‘‘तुम्हें प्राणायाम तो आता ही है। कल सुबह उठने की बजाय प्राणवायु मस्तक में खींचकर निश्चेत पड़े रहना। मैं आकर सब कुछ देख लूंगा।’’ 

दूसरे दिन युवक ने वैसा ही किया जैसा संत ने बताया था। युवक को मृत जानकर उसके सभी घर के लोग विलाप करने लगे। 

तभी संत फ्रांसिस वहां पहुंचे और बोले, ‘‘आप चिंता मत करें, मैं मंत्र से प्रयत्न कर इन्हें जिंदा कर देता हूं लेकिन कटोरी भर पानी परिवार के किसी अन्य सदस्य को पीना पड़ेगा, जिससे यह तो जीवित हो उठेंगे लेकिन पानी पीने वाला मर जाएगा।’’ 

यह सुनने के बाद घर के सभी सदस्य एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। कोई भी पानी पीने के लिए तैयार नहीं हुआ। युवक इस पूरे घटनाक्रम को चुपचाप सुन रहा था। प्राणायाम कर वह उठ गया। यह देखकर घर के सभी सदस्य चौंक गए।


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