आप भी पा सकते हैं जीवन के सबसे बड़े वरदान का सुख

Wednesday, Feb 25, 2015 - 10:50 AM (IST)

मित्रता संसार की अनमोल धरोहर है, जो हर किसी को नसीब नहीं होती। क्या आपने कभी विचार किया है की आपका मित्र कौन होता है? जो तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ देता है, बस वही मित्र है। मित्र तो संसार में बहुत मिल जाते हैं लेकिन विवेकी मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है। 

सच्ची मित्रता में उत्तम से उत्तम वैद्य की सी निपुणता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता का सा धैर्य और कोमलता होती है, ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न प्रत्येक जन को करना चाहिए।
 
एक बार दो युवकों में परिचय हुआ। धीरे-धीरे वे एक-दूसरे के घर भी आने-जाने लगे। एक मित्र के घर में शादी हुई तो उसने अपने नए दोस्त को भी आमंत्रित किया लेकिन मेहमान मित्र की आवभगत में कमी रह गई। 
 
दरअसल आमंत्रित करने वाला मित्र बीमार हो गया था। मेहमान मित्र ने स्वयं को थोड़ा उपेक्षित और अपमानित महसूस किया। घर लौटकर उसने इस मित्र को व्यंग्यात्मक लहजे में एक पत्र लिखा। ‘‘विवाह वाले दिन आपकी तबीयत खराब थी, सो मेहमानों की ठीक से देखभाल भी नहीं कर पाए। खैर, अब आपकी तबीयत कैसी है?’’ 
 
कुछ दिनों बाद उत्तर आया, ‘‘मित्र, विवाह में सैंकड़ों रिश्तेदार और मित्र आए, पर किसी ने भी मेरे स्वास्थ्य के बारे में नहीं पूछा। बस तुम एकमात्र ऐसे व्यक्ति हो जिसने मेरा हालचाल जानने के लिए पत्र लिखा। मैं आभारी हूं और तुम जैसा मित्र पाकर धन्य भी।  उस दिन अस्वस्थ होने के कारण तुम्हारा अपेक्षित आदर-सत्कार भी न कर सका।  पत्र मिलते ही किसी दिन आने का कार्यक्रम बनाओ। बैठकर गपशप करेंगे।’’
 
पत्र पढ़कर मित्र के सारे गिले-शिकवे दूर हो गए। उसे लगने लगा कि शायद स्वयं वही गलती पर था। कई बार हम किसी की विवशता को समझे बिना ही व्यर्थ के दोषारोपण करने लगते हैं। मित्रता की कसौटी एक-दूसरे से अपेक्षाएं रखना नहीं, 
एक-दूसरे की अपेक्षाओं पर खरा उतरना है। जिस दिन आचरण में यह चीज आ जाती है, असल मित्रता उसी दिन से शुरू होती है।

 

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