अपनी किस्मत को रूठने से बचाएं

Tuesday, Feb 24, 2015 - 11:02 AM (IST)

भगवान शिव गुरु गीता में गुरु ज्ञान को महत्वपूर्ण बताते हुए मां पार्वती से कहते हैं कि मानव जीवन में जब विकट स्थिति आ जाए हर सगा-संबंधी साथ छोड़ेगा, परमात्मा भी दूर है-वह दिखाई नहीं देगा, मगर मेरा प्रतिनिधि गुरु कभी अपने शिष्य का साथ नहीं छोड़ेगा। इसलिए गुरु के प्रति अतिशय प्रेम बनाए रखिए। दुनिया के सारे रिश्ते एक सद्गुरु में देखना। सारे संसार के प्रेम को एक सद्गुरु में देखना क्योंकि गुरु आत्म स्वरूप है, सब धर्मों का है। 

उसे अपने सामने महसूस करो जो हमारे हर संकट में साथ है, जो हमें आशीर्वाद देता है और जो गुरुओं का भी परम गुरु है, जो पिताओं का भी परम पिता है, जो माताओं की भी परम माता है। सांसारिक माता-पिता ने तो एक न एक दिन इंसान को छोड़कर सब बंधन तोड़कर चले जाना है लेकिन जो हर देश में हर वेश में, हर काल में, हर हाल में साथ देता है उसके साथ हमारा नाता जोडऩे वाला परम का स्वरूप सद्गुरु होता है।
 
व्यक्ति से यदि हरि रूठ जाएं तो पूरा संसार उसके विपरीत गति करने लगता है। उससे उसकी किस्मत रूठ जाती है। उसी समय यदि उस अभागे को सद्गुरु की दीक्षा की प्राप्ति हो जाए तथा सद्गुरु उस पर अपनी कृपा बनाए रखें तो पुन: हरि को मनाने का मार्ग मिल जाता है। अर्थात सद्गुरु का सहारा उसे तार देता है।
 
दुनिया का पिता भी समझाने के लिए बच्चे को डांटता है। पिता जब डांटकर गुस्से से बच्चे को कमरे में बंद कर देता है तो मां की ममता रह नहीं पाती और ताला खोल कर बच्चे के प्रति प्यार दिखाती है और पिता भी मां के माध्यम से ही बच्चे को खाना आदि खिला देता है। 
 
मगर खुद ऊपरी तौर पर गुस्सा दिखाता है ताकि बच्चा अपनी गलती सुधार सके। जब पिता डांटता है तो मां बच्चे को समझाती है कि पिता ने भले के लिए ही डांटा है।
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