नायाब चित्रकारी को संजोए है गुरुद्वारा ‘श्री अटल राय साहिब’

Thursday, Feb 19, 2015 - 09:05 AM (IST)

यूरोपियन देश जहां अपने यहां बने प्राचीन विरासती चित्रों के बारे में सारे संसार में प्रचार करने में लगे हैं, वहीं उन देशों से कहीं अधिक धनाढ्य विरासत के कई भंडार हमारे भारत के धर्मस्थलों में विराजमान हैं।

 हरिमंदिर साहिब परिसर के साथ लगते गुरुद्वारा श्री अटल राय जी को आज अमृतसर का सबसे ऊंचा धर्म स्थल होने का ही रुतबा प्राप्त नहीं है बल्कि इस गुरुद्वारे की पहली मंजिल पर कुछ ऐसे नायाब चित्र बने हैं, जो कि विश्व भर की प्राचीन भित्ति चित्रकारी की अद्वितीय मिसाल कहे जा सकते हैं। इन चित्रों की विशेषताओं में एक विशेषता यह भी है कि इनमें चित्रकारी के साथ-साथ संबंधित घटनाओं की भी व्याख्या की गई है। यह व्याख्या इतनी सटीक और ऊंचे दर्जे की है कि पढऩे वालों की श्रद्धावश आंखें भर आएं।

इन चित्रों में अधिकतर चित्र पहले सिख गुरु गुरु नानक देव जी से संबंधित हैं। गुरुद्वारा साहिब की दीवारों पर बने इन अद्वितीय चित्रों में गुरु साहिब की साखियों का विवरण इतना संजीव है कि इनके दर्शन करने वाला मानों उस युग का दीदार कर रहा हो। 

इन चित्रों की तुलना हालांकि कुछ पक्षों से बचा के महलों के रामनगर में रंग-महल में बने अति उत्तम दर्जे के प्राचीन तथा पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित भित्तिचित्रों से भी की जाती है। गोइंदवाल साहिब स्थित गुरुद्वारा श्री बौली साहिब के पूर्व मैनेजर बलि सिंह के पुत्र भूपेंद्र सिंह के अनुसार इन चित्रों के साथ किया गया संजीव वृतांत इन्हें पहाड़ी महलों में बनाए गए भित्तिचित्रों से कहीं ऊंची श्रेणी प्रदान करता है। 

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