ऐसे पुरूषों की होती है किस्मत खराब

Thursday, Feb 19, 2015 - 08:15 AM (IST)

जीवन में अकसर कुछ भी मनभावन न होने पर लोगों को आपने कहते सुना होगा किस्मत ही खराब है अथवा जब भी मनमर्जी का हो जाए या बिगड़ते-बिगड़ते बात बन जाए तो कहा जाता है आज तो किस्मत अच्छी थी। क्या इस तरह से किस्मत अच्छी या खराब हो सकती है।

आचार्य चाणक्य ने पुरुषों के जीवन में आने वाली तीन ऐसी परिस्थितियां बताई हैं, जिससे सच में माना जा सकता है कि उनकी किस्मत खराब है।

वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।

भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताते हैं कि अगर किसी पुरुष की पत्नी युवाकाल में ही स्वर्ग सिधार जाए तो वह दूसरा विवाह करके अपनी गृहस्थी बसा सकता है, लेकिन वृद्धावस्था में पत्नी स्वर्ग सिधार जाए तो ऐसे पुरूषों की होती है किस्मत खराब।

वृद्धावस्था जीवन की ऐसी अवस्था है जब पति-पत्नी एक दूसरे के लिए जीते हैं। जवानी तो बच्चों के पालन-पोषण में व्यतीत हो जाती है वृद्धावस्था में आकर बच्चों की अपनी-अपनी गृहस्थी होती है। अत: वृद्धावस्था में पति-पत्नी दोनों एक दूसरे का सहारा होते हैं। 

दूसरे उस पुरूष की किस्मत खराब होती है जिसका स्वयं का वर्चस्व स्थापित न हो, गुलामों सा जीवन ज्ञापन करता हो। ऐसे पुरूष जीते जी नरक सा जीवन व्यतीत करते हैं। व्यक्ति अगर लगन व मेहनत करे तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। मुसीबतों का अगर डटकर सामना किया जाए तो जीवन में आने वाली विपत्तियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं। अपनी अवश्यकताओं को सीमित करके जीना बेहतर विकल्प है बजाय की किसी के गुलाम बनकर रहना।

तीसरे उस पुरूष की किस्मत खराब होती है जिसका धन उसके दुश्मन हथिया लें। यदि आप भौतिक सुख-साधन संपन्न हैं तो लोग आपके पीछे छाया की तरह लगे रहेंगे परंतु विपत्ति आने पर किनारे हो जाएंगे। अन्यायपूर्वक धन कमाने के लिए व्यक्ति को कभी प्रयास नहीं करना चाहिए। अंतत: यह नष्ट हो जाता है। 

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