इस धाम के दर्शन करने के बाद काशी, मथुरा जाने की अवश्यकता नहीं रहती

Friday, Feb 13, 2015 - 12:56 PM (IST)

विट्ठल रुकमणि मंदिर महाराष्ट्र में पुणे से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रभागा नदी के किनारे अवस्थित है। यह नदी अर्धचंद्रकार रूप में प्रवाहित होती है इसलिए इसे चंद्रभागा नाम से जाना जाता हैं। माना जाता है कि जब चंद्रदेव श्राप से ग्रस्त थे तो उन्होंने यहां आकर स्नान किया तत्पश्चात वह श्राप से मुक्त हुए थे। उसी दिन से यह नदी चंद्र आकार में बहने लगी और इसका नाम चंद्रभागा पड़ गया। 13वीं शताब्दी से विट्ठल रुकमणि मंदिर यहां अवस्थित है और यह स्थान पंढलपुर धाम कहलाता है।  

पद्मपुराण के अनुसार श्रीकृष्ण की प्रथम पत्नि रुक्मणि उन से नाराज होकर यहां तप के लिए आई थी। उनके पीछे-पीछे श्री कृष्ण उन्हें मनाने के उद्देश्य ये आ रहे थे तो मार्ग में उन्हें अपने भक्त पुंडलिक का ध्यान आया तो वह उसे भेंट करने के लिए रुक गए। रुकमणि जी को भरोसा था की श्रीकृष्ण उन्हें मनाने अवश्य आएंगे मगर वह उनके इंतजार में ही खड़ी रह गईं।

माना जाता है कि इस घटना के बाद कितने ही युग व्यतित हो गए मंदिर के एक तरफ रुकमणि नाराज खड़ी हैं तो दूसरी ओर श्रीकृष्ण अपनी कमर पर हाथ रखे हुए खड़े हैं।

कलियुग के समस्त तीर्थों में यह सबसे उत्तम तीर्थ है क्योंकि यहां सभी देवताओं का निवास माना जाता है। जो श्रद्धालु एक बार इस धाम के दर्शन कर लेता है तत्पश्चात उसे काशी, मथुरा जाने की अवश्यकता नहीं रहती।

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