बसंत पंचमी पर क्यों दिया जाता है पीले रंग को अधिक महत्व

Sunday, Jan 25, 2015 - 06:28 AM (IST)

बसंत पंचमी का अर्थ है शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी-फरवरी तथा हिन्दू तिथि के अनुसार माघ के महीने में मनाया जाता है। बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंचतत्त्व, जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं।

बसंत ऋतु का आगमन प्रकृति को बासंती रंग से सराबोर कर जाता है। बसंत पंचमी पर सब कुछ पीला दिखाई देता है। पीला रंग हिन्दुओं में शुभ माना जाता है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है। 

बसंत ऋतु पर सरसों की फसलें खेतों में लहराती हैं,फसल पकती है और पेड़-पौधों में नई कोपलें फूटती हैं। प्रकृति खेतों को पीले-सुनहरे रंगों से सजा देती है। जिससे पृथ्वी पीली दिखती है। बसंत का स्वागत करने के लिए पहनावा भी विशेष होना चाहिए इसलिए लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं। पीला रंग उत्फुल्लता, हल्केपन खुलेपन और गर्माहट का आभास देता है।

केवल पहनावा ही नहीं खाद्य पदार्थों में भी पीले चावल, पीले लड्डू व केसर युक्त खीर का उपयोग किया जाता है। मन्दिरों में बसंती भोग रखे जाते हैं और बसंत के राग गाए जाते हैं। बसंत ऋतु में मुख्य रूप से रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। बसंत पंचमी से ही होली गाना भी शुरू हो जाता है। इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है।

सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए।

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