प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं सारस पक्षी, रामायण से है संबंध

Thursday, Apr 25, 2024 - 08:34 AM (IST)

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Arif Saras Love Story: उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी सारस काफी चर्चा में है। सारस के साथ दोस्ती के बाद चर्चा में आए अमेठी के आरिफ लेकिन अब आरिफ सारस से बिछड़ चुके हैं और इस वजह से काफी परेशान हैं। आरिफ अपने दोस्त सारस से मिलना चाहते हैं, लेकिन सारस उनसे दूर है।

बन गया था पल-पल का साथी, कहीं भी जाएं, साथ जाता था
कहते हैं कि केवल इंसान ही लोगों के साथ दोस्ती नहीं कर सकता, बल्कि पशु-पक्षी भी बिना स्वार्थ लोगों से दोस्ती निभाते हैं। ऐसा ही एक अजब-गजब मामला यू.पी. के अमेठी में सामने आया, जहां 30 वर्षीय आरिफ का दोस्त कोई इंसान नहीं, बल्कि सारस पक्षी बन गया।

दोस्ती कैसे हुई
दरअसल आरिफ ने सारस पक्षी का घायल अवस्था के दौरान इलाज किया था, जिसके बाद पक्षी ने उसको अपना सबसे प्रिय मित्र मान लिया और कई महीने यह पक्षी युवक के साथ ही रहा और युवक जहां भी जाता, सारस पक्षी उसका साथी बनकर उसके साथ घूमता रहता।

मामला अमेठी जनपद के जामो विकासखंड के मंडका गांव का है। 2022 के अगस्त में इस पक्षी से आरिफ की मुलाकात उस समय हुई, जब यह जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था। आरिफ ने सारस का इलाज किया और उसके बाद सारस आरिफ और उनके परिवार के साथ ही रहने लगा लेकिन गत दिनों दोनों का एक वीडियो वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश वन विभाग सारस को आरिफ के पास से ले गया और उसे सारस विहार में छोड़ दिया क्योंकि सारस संरक्षित पक्षी है, जिसे कोई अपने पास नहीं रख सकता। चलिए अब आपको सारस पक्षी से संबंधित कुछ ऐसी खास बातें बताते हैं, जो आप शायद ही जानते होंगे।

Stork population is highest in India भारत में सारस की आबादी सबसे ज्यादा
वैसे तो सारस भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है, लेकिन भारत में इसकी आबादी सबसे ज्यादा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में सारस की संख्या 15 से 20 हजार के आसपास है। ये उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार में आमतौर पर वैटलैंड्स यानी दलदली भूमि में पाए जाते हैं। इनका घोंसला छिछले पानी के पास हरी-भरी झाड़ियों और घास में पाया जाता है। सारस आमतौर पर 2 से 5 के ग्रुप में रहते हैं।

Stork related to Ramayana रामायण से संबंध
रामायण की कथा की शुरूआत सारस के एक जोड़े की कहानी से होती है। महर्षि वाल्मीकि कथा में इस प्यारे जोड़े को देख रहे होते हैं, तभी अचानक एक शिकारी तीर चलाकर एक सारस को अपना शिकार बना लेता है, जिसके बाद दूसरा सारस अपने साथी के बिछुड़ने के दुख में अपने प्राण त्याग देता है। इस घटना के बाद महर्षि वाल्मीकि शिकारी को श्राप दे देते हैं।

Gond tribe considers the stork sacred सारस को पवित्र मानती है गोंड जनजाति
उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, उत्तराखंड और असम जैसे कुछ राज्यों में पाई जाने वाली गोंड जनजाति के लोग सारस को पवित्र मानते हैं। गोंड जनजाति सारस पक्षी को ‘पांच देवताओं के उपासक’ के रूप में पूजते हैं।

Stork symbol of love प्रेम का प्रतीक
सारस को प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। अपने जीवन काल में सारस जिसे एक बार अपना साथी बना लेते हैं, उसके साथ पूरा जीवन गुजारते हैं। भारत में इस पक्षी को दांपत्य प्रेम का प्रतीक माना जाता है। कई जगहों, जैसे गुजरात में नवविवाहित जोड़ों के लिए सारस युगल का दर्शन करना जरूरी परम्परा की तरह माना जाता है। सारस के जीवन को प्रेम के बिना अधूरा माना जाता है। सच मायनों में सारस जोड़ा प्रेम के बिना नहीं जी सकता। अपनी इस विशेषता के कारण इसे एक अच्छी सामाजिक स्थिति के अनुरूप देखा जाता है।

Stork's feet and beak move together पैर और चोंच एक साथ चलते हैं
सारस के बारे में एक खास बात यह है कि इस पक्षी के पैर और चोंच एक लय में चलते हैं। इसके अलावा, अगर मादा सारस दो अंडे देती है, तो पहले और दूसरे अंडे के बीच में 48 घंटे का अंतर होता है। प्रजनन के समय सारस के लाल पैर, सिर और गर्दन चमकीले हो जाते हैं।

Rare storks are becoming extinct दुर्लभ सारस हो रहे विलुप्त
प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले दुर्लभ सारस पक्षियों को बचाने की दरकार है। यूं तो दुनियाभर में इसे बचाने के यत्न हो रहे हैं, प्रशासनिक तौर पर भी कई तरह से जागरूकता फैलाने का दावा किया जाता है, वहीं उत्तर प्रदेश के कामठा में गत नवम्बर में दुर्लभ पक्षी सारस का जोड़ा मृत पाया गया, जिसकी सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम जब जांच करने पहुंची, तो पता चला कि बिजली तारों की चपेट में आने से जोड़े की मौत हो गई।

सारस का जोड़ा जिस स्थान पर मृत अवस्था में पाया गया, वहां पास में तालाब है, जिसके साथ ही बिजली के तार मौजूद हैं, अनुमान लगाया जा रहा है कि उड़ते समय सारस का जोड़ा उन तारों की चपेट में आ गया, जिससे दोनों की मृत्यु हो गई।
अनुमान यह भी लगाया गया है कि यह घटना तीन से चार दिन पूर्व की हो सकती है। शाम तक सारस के जोड़े का पोस्टमार्टम कर अग्नि दे दी गई।

जानकारी के मुताबिक, दुर्लभ सारस की विभिन्न कारणों से मौत होने के मामले सामने आए हैं। तीन वर्षों में 6 सारस पक्षियों की मौत हुई है। पूरे विश्व में सारस की कुल 8 प्रजातियां हैं। इनमें से चार भारत में मौजूद हैं। पांचवी प्रजाति साइबेरियन क्रेन भारत से 2002 में ही विलुप्त हो गई थी।

खास बात है कि भारत में पाए जाने वाले सारस प्रवासी नहीं होते, वे स्थाई रूप से एक ही भौगोलिक क्षेत्र में निवास करते हैं, जो दलदली जमीन, बाढ़ वाले स्थान, तालाब, झील और खेती के इलाकों में पाए जाते हैं। इतनी कम संख्या में होने के कारण इन्हें दुर्लभ माना गया है।

Niyati Bhandari

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