क्या आप भी हैं इन आदतों के शिकार

Tuesday, Jan 29, 2019 - 05:14 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा(video)
ये बात तो सब जानतें ही हैं कि अगर जीवन में दुख मिलें हैं तो कभी न कभी सुख जरूर आएंगे। तो व्यक्ति को हर परिस्थिति में खुद को मज़बूत बनाकर रखना चाहिए। व्यक्ति को कभी भी किसी भी स्थिति में घबराना नहीं चाहिए। बल्कि हिम्मत से हर मुश्किल का सामना करना चाहिए। लेकिन कईं बार ऐसा होता है कि व्यक्ति अपने दुखों के वजह दूसरों को बताता है और उन पर दोष लगाता है। शास्त्रों में इंसान की सोच और बर्ताव को सही और संतुलित करने के लिए कुछ बातें बताई गई हैं। जिसके द्वारा व्यक्ति अपने दुखों का कारण जानकर सुखी जीवन बिताएगा। कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी एक चिंता में डूबा रहेगा तो वे बुढ़ापे की ओर जल्दी अग्रसर होता है। महाभारत में कुछ ऐसी ही बातें बताई गई हैं, जोकि व्यक्ति की सेहत पर बुरा असर डालती हैं। तो चलिए जानते हैं वो बातें-

श्लोकः
ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।।

इसका अर्थ ये है कि स्वभाव में 6 दोष होने पर कोई भी व्यक्ति गम और परेशानियों से घिरे होते हैं। 

क्रोधी व्यक्ति- कई लोग बहुत गुस्से वाले होते हैं, वे गुस्सा करते समय ये नहीं देखते कि सामने वाले की कोई गलती थी भी या नहीं। वो अुने गुस्से पर कभी काबू नहीं कर पाते और कई बार अपशब्दों का प्रयाग करते हैं।

शंका करना- वे व्यक्ति कभी कामयाब नहीं हो सकता जो दूसरें पर हमेशा शंका करने वाला होता है।

दूसरों के सहारे जीना- वे व्यक्ति जो हमेशा दूसरों के सहारे पर ही अपने जीवन को व्यतीत करते हैं। वे कभी भी अपने जीवन में खुद कुछ नहीं कर सकते और ऐसे लोगों को हार का सामना करना ही पड़ता है। 

ईर्ष्या- जिन लोगों के मन में दूसरों के लिए हमेशा नफ़रत की भावना रहती है, वे लोग दूसरों को तो क्या खुद भी आगे नहीं बढ़ सकते। ऐसे लोग दूसरों की तरक्की से जलन करते हैं। 

असंतोषी- जो व्यक्ति अपनी लाइफ में किसी भी चीज़ को लेकर भगवान का शुक्रिया अदा नहीं करता वे कभी भी सफल नहीं हो सकता। कहा जाता है कि जितना भी भगवान ने दिया हो उसी में व्यक्ति को खुश रहना चाहिए। 
मकर संक्रान्ति पर क्या करें क्या न करें, खिचड़ी के साथ क्या दान करें !(video)
 


 

Lata

Advertising