यहां पैरों से दबा कर किया था देवी ने राक्षसों का वध, जानें कहां है ये मंदिर

Wednesday, Mar 13, 2019 - 04:35 PM (IST)

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भारत देश में कई देवी मंदिर हैं, जिनकी अपनी कोई न कोई खासियत है। इनमें से 51 शक्तिपीठ हैं जो देश-विदेशों में बहुत प्रसिद्ध है। बता दें इन शक्ति पीठों से कई पौराणिक कथाएं आदि जुड़ी हुई है। आज हम आपको देवी के एक ऐसे ही शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं जहां माता के शक्तिपीठ के दर्शन करने मात्र से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर में देवी मां के चरण पादुका मौज़ूद हैं जिनके दर्शन करने से भक्तों का सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।

आइए विस्तारपूर्वक जानें इस मंदिर के बारे में-
हम बात कर रहे हैं कि अर्बुदा देवी मंदिर की जिसे अधर देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।  बता दें कि देवी मां का ये प्राचीन मंदिर राजस्थान के माउंट आबू से लगभग 3 कि.मी दूरी एक पहाड़ी पर बना पर स्थित है। मंदिर के बारे में मान्यता है यहां देवी पार्वती के होंठ गिरे थे। जिस कारण इसे शक्तिपीठ माना जाने लगा। बता दें मंदिर के अंदर माता अर्बुदा देवी की पूजा कात्यायनी देवी के रूप में की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अर्बुदा देवी को माता कात्यायनी का ही स्वरूप कहलाती है। वैसे तो मंदिर में रोज़ाना ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है परंतु नवरात्रों के समय मंदिर में भक्तों का सैलाब लग जाता है।

बता दें कि मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 350 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती हैं। इस मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा भी मौज़ूद है जिसके अंदर एक दीपक निरंतर जलता रहता है। लोक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना साढ़े पांच हज़ार वर्ष पहले की गई थी। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मंदिर के अंदर जहां अर्बुदा देवी के चरण पादुका मौज़ूद हैं उसी के नीचे देवी ने बासकली नामक राक्षस का संहार किया था, जिसका जिक्र पुराणों में भी किया गया है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक प्राचीन समय में एक दैत्य राजा कली था जिसे बासकली के नाम से जाना जाता था, उसने हजारों साल तक भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भोलेनाथ ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसको अजय होने का वरदान दिया था।

परंतु वरदान पाने के बाद बासकली बहुत घमंडी हो गया। इसी घमंड के चलते उसने देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को अपना बंदी बना लिया था। इसी राक्षस के अत्याचारों से दुखी होकर देवताओं ने कई सालों तक अर्बुदा देवी को प्रसन्न करने के लिए उनकी तपस्या की। इनकी तपस्या से खुश होकर माता ने प्रसन्न होकर तीन रूपों में दर्शन दिए थे। जिसके बाद देवताओं ने देवी से बासकली राक्षस से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब देवी मां बासकली राक्षस को अपने चरणों से दबा कर उसका वध किया था। इसके बाद तभी से यहां यानि इस मंदिर में माता के चरण पादुका स्थापित है।

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Jyoti

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