धन, पद और सदाबहार जवान रहने का वरदान देती हैं ये अप्सराएं

Thursday, May 04, 2017 - 03:14 PM (IST)

अप्सरा शब्द कानों में गूंजते ही एक खूबसूरत छवि आंखों के सामने ऊभरती है। जो स्वर्गलोक में नृत्य कर रही होती है और देव उसके रूप लावण्य पर मोहित हुए होते हैं। किसी महिला की तारिफ में भी कहा जाता है की वो अप्सरा के समान लग रही है। इन्द्रलोक में रहने वाली रम्भा व उर्वशी के नाम तो लगभग हर कोई जानता है। इनके अतिरिक्त और भी अवर्णनीय अप्सराएं हैं। जिनके नाम हैं- शशि अप्सरा, तिलोत्तमा अप्सरा, कांचन माला अप्सरा, कुंडला हारिणी अप्सरा,  रत्नमाला अप्सरा, भू‍षणि अप्सरा। इन्हें प्रसन्न करने से कोई भी धरती वासी सदाबाहर जवान, आकर्षक, शक्तिसम्पन्न और स्वस्थ-चित्त का स्वामी बन सकता है। अप्सराएं भी देवताओं के समान शक्तिसंपन्न होती हैं। जिस तरह देवों का दिया शाप व वरदान कभी खाली नहीं जाता। वो अपना प्रभाव अवश्य दिखाता है, उसी भांति ये भी शक्ति संपन्न होती हैं।
  

रंभा अप्सरा- अपने घर के एकांत कमरे में साधना करें, आशीर्वाद स्वरूप दौलत व रासायनिक वस्तुओं से भर जाएगा आपका घर-संसार।  मंत्र- 'ॐ स: रंभे आगच्छागच्छ स्वाहा।'  


शशि अप्सरा- इन्हें प्रसन्न करने पर व्यक्ति को रोगमुक्त लंबी आयु मिलती है। एक महीने तक इनकी साधना दुर्जट पर्वत शिखर पर करनी होती है। मंत्र- 'ॐ श्री शशि देव्या मा आगच्छागच्छ स्वाहा।'  


तिलोत्तमा अप्सरा- साम्राज्य का स्वामी बनने के लिए पर्वत शिखर पर करें इनकी साधन। मंत्र- 'ॐ श्री तिलोत्तमे आगच्छागच्छ स्वाहा।'  


कांचन माला अप्सरा- किसी भी तरह की कामना के लिए पवित्र नदी के संगम पर साधना करें।  मंत्र- 'ॐ श्री कांचन माले आगच्छागच्छ स्वाहा।'  


कुंडला हारिणी अप्सरा- संपत्ति व रासायनिक वस्तुओं के लिए पर्वत शिखर पर इनकी साधना करें। मंत्र- 'ॐ श्री ह्रीं कुंडला हारिणी आगच्छागच्छ स्वाहा।'  


रत्नमाला अप्सरा- मंदिर में इनकी साधना करने से कोई भी इच्छा शेष नहीं रहती। मंत्र- 'ॐ श्री ह्रीं रत्नमाले आगच्छागच्छ स्वाहा।'   


भू‍षणि अप्सरा- किसी भी स्थान पर एकांत में साधन कर सकते हैं। प्रसन्न होने पर देती हैं भोग व ऐश्वर्य का वरदान। मंत्र- 'ॐ वा: श्री वा: श्री भू‍षणि आगच्छागच्छ स्वाहा।'


उर्वशी अप्सरा- हर तरह की मनोकामना के लिए घर के एकांत कमरे में साधना करें।  मंत्र- 'ॐ श्री उर्वशी आगच्छागच्छ स्वाहा।'  

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