थोड़ी सी बुद्धि लगाएं और बन जाएं अमीर

Saturday, Aug 17, 2019 - 07:52 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

एक लुहार पिता और पुत्र दोनों अपनी लोहे की दुकान में काम कर रहे थे, तभी पुत्र ने अपने पिता जी से एक प्रश्र पूछा, ‘‘पिता जी,  इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है?’’ 

एक छोटे बच्चे से ऐसा गम्भीर सवाल सुनकर तो उसके पिताजी सोच में पड़ गए। थोड़ी देर बाद वे बोले, ‘‘बेटा एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल काम है क्योंकि वह तो अनमोल है, उसका कोई मोल नहीं है।’’ 

बालक ने फिर से एक प्रश्र पूछ लिया, ‘‘क्या सभी मनुष्यों की एक समान कीमत और महत्व है?’’ 

पिताजी ने जवाब दिया, ‘‘हां बेटा।’’ 

बच्चों में तो हर चीज जानने की जिज्ञासा होती है। इसलिए उसने अपने पिताजी से एक और सवाल किया, ‘‘तो फिर इस दुनिया में कोई गरीब तो कोई अमीर क्यों है? किसी को कम महत्व दिया जाता है तो किसी को बहुत ज्यादा, ऐसा क्यों?’’

बच्चे द्वारा इस तरह के सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर अपने पुत्र से स्टोर रूम में पड़ा एक लोहे का सरिया लाने को कहा। सरिया लाते ही पिताजी ने पूछा, ‘‘बेटा, इसकी क्या कीमत होगी?’’

बालक ने तुरन्त जवाब दिया, ‘‘पिताजी इसकी कीमत लगभग 500 रुपए होगी।’’

पिताजी ने अपने पुत्र से सवाल किया, ‘‘अगर मैं इससे बहुत छोटी-छोटी कीलें बना दूं तो इसकी क्या कीमत हो जाएगी?’’

बालक कुछ देर सोचकर कुछ जोड़ कर बोला, ‘‘पिताजी अगर हम इसे गला कर कीलें बना देंगे तब तो इसकी कीमत तकरीबन 1000 रुपए हो जाएगी।’’

पिताजी ने पूछा, ‘‘और अगर मैं इस लोहे को गलाकर इससे घड़ी की बहुत सारी सप्रिंग बना दूं तो?’’ 

तब तो बालक उत्साहित होकर बोला, ‘‘पिताजी तब तो इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो जाएगी और हम इसे बेचकर बहुत सारा धन कमा लेंगे।’’

फिर पिताजी अपने पुत्र को समझाते हुए कहने लगे, ‘‘बेटा, बस ठीक इसी तरह से मनुष्य की कीमत इसमें नहीं होती कि अभी वह क्या है, बल्कि इसमें होती है कि वह अपने आपको क्या बना सकता है। वह जिस राह पर चलता है उसी से तय होता है कि वह अमीर बनकर अपने महत्व को बढ़ाएगा या गरीब बनकर अपने जीवन को अंधकार की ओर ले जाएगा।’’

Niyati Bhandari

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