Aparajita Puja: विजयदशमी पर किया गया ये काम, सारा साल आपकी यात्रा को बनाएगा Happy Journey
punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 02:01 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Vijayadashami 2025 rituals: दशहरे का वास्तविक नाम विजयदशमी है। यह केवल रावण वध का उत्सव नहीं बल्कि देवी अपराजिता की आराधना का दिन भी है। शास्त्रों में इसे अपराजिता पूजा कहा गया है। इस दिन सुबह-सुबह लोग घर के बाहर या किसी मंदिर प्रांगण में अपराजिता लता का पूजन करते हैं। पूजन के बाद देवी का आवाहन कर उन्हें पुष्प अर्पित किया जाता है। प्रार्थना के बाद उनका विसर्जन कर एक पुष्प अपने साथ धारण किया जाता है। मान्यता है कि यह पुष्प व्यक्ति की यात्रा, व्यापार और कार्यों में सफलता दिलाता है।
Auspicious time for Aparajita Puja अपराजिता पूजा का शुभ समय
ज्योतिषियों के अनुसार माता अपराजिता की पूजा अपराह्न काल (दोपहर के बाद से संध्या तक) करनी चाहिए। यात्रा प्रारंभ करने से पहले यह स्तुति करना बहुत शुभ माना गया है –
शृणुध्वं मुनय: सर्वे सर्वकामार्थसिद्धिदाम्।
असिद्धसाधिनीं देवीं वैष्णवीमपराजिताम्।।
नीलोत्पलदलश्यामां भुजङ्गाभरणोज्ज्वलाम्।
बालेन्दुमौलिसदृशीं नयनत्रितयान्विताम्।।
यह स्तुति करने से कोई भी कार्य या यात्रा विघ्नरहित और सफल होती है।
Aparajita Puja festival special अपराजिता पूजा पर्व खास ?
विजयदशमी अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। यह दिन यात्रा, नए कार्य, शस्त्र-पूजन और शिक्षा-आरंभ के लिए शुभ माना गया है।
माता अपराजिता की आराधना से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। पुराणों के अनुसार, इस दिन प्रारंभ किया गया कार्य पूर्ण और सफल होता है।
How Aparajita Puja is celebrated today आज कैसे मनाई जाती है अपराजिता पूजा?
भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में दशहरे के दिन रामलीला होती है और रावण का पुतला दहन किया जाता है। इसे केवल उत्सव नहीं बल्कि एक संदेश माना जाता है, बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय निश्चित है। गांवों में आज भी यात्री लोग यात्रा प्रारंभ करने से पहले अपराजिता देवी का स्मरण करते हैं।