अन्नपूर्णा जयंती 2020: आज इस विधि से करें मां अन्नपूर्णा की पूजा, भरे रहेंगे सदा भंडारे

Tuesday, Dec 29, 2020 - 11:50 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म के अनुसार वर्ष के समस्त 12 मास में हिंदू धर्म के कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। जिस कारण इस तमाम महीनों की महत्वता अपने आप में अधिक हो जाती है। इन्हीं में से एक है मार्गशीर्ष मास। जिसे साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना जता है। इस वजह से यह पूरा मास ही अत्यंत पावन व शुभ माना जाता है। परंतु इस मास में आने वाले कुछ पर्व इसे अधिक खास बना देते हैं। जिनमें खास तौर पर इस मास की पूर्णिमा तिथि शामिल होती है। इसके अलावा इस मास में अन्नपूर्णा जंयती का पर्व भी पड़ता है, जो आज 29 दिसंबर मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताए हैं कि माता अन्नपूर्णा द्वारा ही इस संपूर्ण पृथ्वी पर अन्न की पूर्ति की जाती है। इसलिए इन्हें रसोई घर में स्थान दिया गया है। अगर हिंदू धर्म से जुड़ी किंवदंतियों की मानें तो घर की गृहणी को लक्ष्मी के साथ अन्नपूर्णा भी माना जाता है, क्योंकि प्रत्येक घर में गृहणी पूरे परिवार के लिए बहुत प्रेम न स्नेह से भोजन बनाया जाता है। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति किसी हालात में भी अपनी घर की महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन का क्या महत्व और इस दिन से जुड़ी पूजन विधि क्या है आइए जानते हैं यहां- 

अन्नपूर्णा तिथि समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 29 दिसंबर 2020 को सुबह 08:58 से 
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 30 दिसंबर 2020 को 09:31 बजे तक 

महत्व-
अगर आप से कहा जाए कि धरती पर अन्न न हो तो। यकीनन आप सब सोच में पड़ जाएंगे, कि जीवन इसके बिना कैसे संभव होगा। क्योंकि अन्न हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अन्न के बिना इस जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा का प्राक्ट्य हुआ था, जिसके उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाया जाता है। 

कहा जाता है जिस घर में अन्नपूर्णा मां की पूजा होती है, उस घर में कभी किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता। बल्कि मां अन्नपूर्णा की कृपा से अन्न के भंडारे हमेशा भरे रहते हैं। तो अगर आप भी चाहते हैं कि मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद आप पर सदा बना रहे। तो इस दिन विधि वत इनकी पूजा ज़रूर करें। 

यहां जानिए इस दिन की पूजन विधि- 
प्रातः स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
पूरे घर,रसोई, चूल्हे आदि की अच्छे से साफ-सफाई करें, तथा गंगाजल छिड़ककर सारी जगह को शुद्ध करें।
इसके बाद खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें और धूप दीप प्रज्वलित करें। 
फिर माता पार्वती और शिव जी की पूजा करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ही अन्नपूर्णा देवी हैं। 
पूजा आदि करने के बाद माता से प्रार्थना करें कि हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहें।
और आखिर में गरीबों में अन्न का दान करें या अपनी क्षमता अनुसार कुछ ज़रूरमंदों को भोजन करवाएं।

 

Jyoti

Advertising