Smile please: ‘स्वर्गिक सुख’ देंगे ये उपाय

Sunday, Aug 01, 2021 - 12:57 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

यदि आप अपने माता-पिता का आदर करेंगे तो आपके बच्चे भी आपका आदर करना सीखेंगे।

दूसरे मनुष्यों से जैसा व्यवहार आप अपने लिए पसंद करते हैं वैसा ही व्यवहार यदि दूसरों के साथ करें तो आपका जीवन बदल कर स्वर्ग बन सकता है। 

किसी को भी बिना मांगें और अनावश्यक सलाह देने और बात-बात पर टोकने की आदत त्याग दें। इस तरीके से किसी व्यक्ति, चाहे बच्चा हो या बड़ा, में सुधार लाने की आशा करना व्यर्थ है। 

जीवन में सुधार लाने के लिए प्रकृति, सत्संगति, महापुरुषों का जीवन और श्रेष्ठ लेखकों की प्रेरणादायक पुस्तकें ही वास्तविक प्रेरणा स्रोत हैं।

जैसा मधुर व्यवहार विवाह से पहले प्रेमी-प्रेमिका के बीच देखा जाता है वैसा ही व्यवहार, एक-दूसरे को समझने की भावना और  परस्पर  तालमेल विवाह के बाद जीवन में लाया जाए तो पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन वास्तव में आनंददायक बन सकता है। फिर भला दाम्पत्य जीवन में कटुता और क्लेश का स्थान कहां रह जाता है।

‘क्या खाते हैं’ इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि खाए हुए आहार को ठीक से पचाना। अत: जो आहार आप ठीक से पचा न सकें, उसका सेवन न करें और जो खाद्य पदार्थ आपको अनुकूल न लगता हो उसका सेवन त्याग देना चाहिए। 

इसी प्रकार क्या कमाते हैं, से अधिक महत्वपूर्ण है कि आप अपनी आय को विवेक और बुद्धिमता से किस तरह खर्च करते हैं।

दूसरों की जीवन में तरक्की से अपना मिलान या तुलना करके दुखी मत होइए और न ही उनके साथ व्यर्थ प्रतिस्पर्धा में उतर कर होश खोइए। प्रतिस्पर्धा का कहीं अंत नहीं है। 

ईर्ष्या और दूसरों को सुखी देख कर दुखी होने का स्वभाव मानसिक तनाव और अनेकानेक रोगों का कारण भी बनता है जबकि दूसरों को सुखी देख कर आनंदित होने का मजा अपने आप में किसी स्वर्गिक सुख से कम नहीं है।    

Niyati Bhandari

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