माता-पिता के कड़वे वचनों में स्वर्णिम भविष्य के लिए रक्षा कवच की छांव देखो

Wednesday, Dec 07, 2016 - 03:11 PM (IST)

* अपनी इंद्रियां जिसके वश में हैं उसकी बुद्धि स्थिर रहती है।  —श्रीमद् भगवद् गीता 


* मानव इतिहास प्रधान रूप से विचारों का इतिहास है।   —एच.जी. वेल्स


* ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।   —फै्रंकलिन 


* इस संसार में घृणा से घृणा कभी कम नहीं होती, घृणा प्रेम से ही कम होती है।    —धम्मपद


* उत्तम चरित्र ही निर्धन का धन है।     —इमर्सन


* घमंड मत कर। घमंड तुझे एक दिन सिर के बल गिरा देगा।     —शेख सादी 


* जीवन एक फूल है और प्रेम उसका मधु।     —खलील जिब्रान 


* ईश्वर ने तुम्हें केवल एक चेहरा दिया है और तुम स्वयं दूसरा बना लेते हो।    —शेक्सपियर 


* चिंता ने आज तक कभी किसी कमी को पूरा नहीं किया।     —स्वेट मार्डेन
 

* उस दुख से बढ़कर कोई दुख नहीं जो व्यक्त न किया जा सके।     —लांगफैलो


* अपने माता-पिता के कड़वे वचनों में अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए रक्षा कवच की छांव देखो।    —प्रो. सुरेंद्र बिहारी गोस्वामी


* हर सुंदर रास्ता मीठे सरोवर तक नहीं जाता। कहीं कोई खाई भी होती है जो आंखों से ओझल रहती है।


* पति-पत्नी आपस में प्यार से रहें कभी कोई गलतफहमी हो जाए तो आपस में बैठ कर सुलझा लें। एक-दूसरे का सम्मान करें और समझौता कर लें। अपने घर को मंदिर बनाएं।


* माता-पिता की सेवा करने से मनुष्य का गौरव बढ़ता है। बुद्धि एवं आयु में वृद्धि होती है और घर में बरकत बनी रहती है इनसे बढ़ कर संसार में हमारा कोई हमदर्द नहीं है। —स्वामी संत दास 


* किसी दोस्त से यदि उधार मांगने के लिए जाना पड़े तो जाने से पहले यह सोच-विचार जरूर कर लें कि मुझे दोनों में से ज्यादा किस की जरूरत है।    —अब्दुल करीम मर्चैंट

 

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