हकीकत या फसाना: भले काम का भला नतीजा

Thursday, Sep 16, 2021 - 09:44 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ancient Hindu Laws: धर्मग्रंथों और सूत्रों में मानव-जीवन की सम्पूर्ण कार्यपद्धति का दिन, तिथि, प्रहर, पल आदि के अनुसार विवरण देते हुए पर्याप्त मार्गदर्शन दिया गया है। गुण-दोषों के आधार पर दुष्कमों के दुष्परिणामों का उल्लेख मिलता है। वर्तमान में प्राचीन ग्रंथों के विवेचन को अपेक्षित मान्यता भले ही न मिल रही हो और कर्मों को परिणामों के संबंध न जोड़ते हों तब भी कर्म की प्रधानता मान्य है। पारलौकिक व्यवस्था में स्वर्ग और नरक का महत्वपूर्ण स्थान है। स्वर्ग और नरक के विधान के अतिरिक्त वर्तमान के सुख-दुख पर पूर्व-कृत कर्मों की छाया के अस्तित्व पर विचार किया जाता है। गौतम स्वामी ने मानवीय कष्टों, दुर्भाग्य आदि से संबंधित अनेक प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर जनकल्याण के लिए उद्घाटित किए थे। लगभग 2500 वर्ष पूर्व के प्रश्नोत्तर का सारांश यहां प्रस्तुत है :

दान करने से जो व्यक्ति जी चुराता है, चोरी करता है और धर्म की हंसी उड़ाता है वह व्यक्ति सदा धर्महीन रह कर जीवन भर कष्ट उठाता है और मर कर दुर्गति पाता है।

कुछ लोग सर्व सुविधाओं के स्वामी होते हुए सभी सुविधाओं से वंचित रहते हैं क्योंकि वे साधु-महात्माओं की सेवा करते हुए दिए गए दान पर बाद में पछताते हैं।

हरे-भरे वृक्षों को काटने वाले अगले जन्म में नि:संतान होते हैं।

जो महिला दवाएं खाकर गर्भपात कराती हैं और गर्भवती हिरणी का मांस खाती हैं वे प्रत्येक योनि में बांझ रहती हैं।

जो लोग बड़े शौक से हंस-हंस कर अंडे खाते हैं उनके बच्चे पैदा होते ही मर जाते हैं।


पर स्त्री को बुरी नियत से देखने वाला और साधु-संन्यासियों के दुर्गुणों का बखान करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में काना होता है।

फलदार वृक्षों पर पत्थर की वर्षा करने वालों का समय से पहले गर्भपात होता है।

शहद के छत्ते के नीचे आग जलाने वाले अंधे होते हैं।

जो धर्म, गुरु, ग्रंथ, शास्त्र आदि की निंदा करता है, वह अगले जन्म में गूंगा होता है।

परनिंदा से प्रसन्न और धर्मसभा में सोने वाला व्यक्ति बहरा होता है।

मोर, सांप, बिच्छू आदि जीवों को मारने और जंगल में आग लगाने वाला व्यक्ति कुष्ठ रोगी होता है।

Niyati Bhandari

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