पुश्तैनी संपत्ति का अधिकारी चुनने से पहले जानें ये जरूरी बात

Saturday, Mar 28, 2020 - 02:47 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

एक समय की बात है, श्रावस्ती नगर के एक छोटे से गांव में अमरसेन नामक व्यक्ति रहता था। अमरसेन बड़ा होशियार था, उसके 4 पुत्र थे जिनके विवाह हो चुके थे और सब अपना जीवन जैसे-तैसे निर्वाह कर रहे थे परन्तु समय के साथ-साथ अब अमरसेन वृद्ध हो चला था। पत्नी के स्वर्गवास के बाद उसने सोचा कि अब तक के संग्रहित धन और बची हुई सम्पत्ति का उत्तराधिकारी किसे बनाया जाए? यह निर्णय लेने के लिए उसने चारों बेटों को उनकी पत्नियों के साथ बुलाया और एक-एक करके गेहूं के पांच दाने दिए और कहा कि मैं तीर्थ पर जा रहा हूं और 4 साल बाद लौटूंगा और जो भी इन दानों की सही हिफाजत करके मुझे लौटाएगा, तिजोरी की चाबियां और मेरी सारी सम्पत्ति उसे ही मिलेगी, इतना कहकर अमरसेन वहां से चला गया।

पहले बहू-बेटे ने सोचा, बुड्ढा सठिया गया है 4 साल तक कौन याद करता है। हम तो बड़े हैं तो धन पर पहला हक हमारा ही है। ऐसा सोच कर उन्होंने गेहूं के दाने फैंक दिए।

दूसरे ने सोचा कि संभालना तो मुश्किल है यदि हम इन्हें खा लें तो शायद उनको अच्छा लगे और लौटने के बाद हमें आशीर्वाद दे दें और कहें कि तुम्हारा मंगल इसी में छुपा था और सारी सम्पत्ति हमारी हो जाएगी। यह सोच कर उन्होंने वे 5 दाने खा लिए।

तीसरे ने सोचा कि हम रोज पूजा-पाठ तो करते ही हैं और अपने मंदिर में जैसे ठाकुर जी को संभालते हैं, वैसे ही ये गेहूं भी संभाल लेंगे और उनके आने के बाद लौटा देंगे।

चौथे बहू-बेटे ने समझदारी से सोचा और पांचों दानों को एक-एक कर जमीन में बो दिया और देखते-देखते वे पौधे बड़े हो गए और कुछ गेहूं उग आए। फिर उन्होंने उन्हें भी बो दिया। इस तरह हर वर्ष गेहूं की बढ़ौतरी होती गई 5 दाने 5 बोरी, 25 बोरी और पचासों बोरियों में बदल गए।

4 साल बाद अमरसेन वापस आया तो सबकी कहानी सुनी और जब वह चौथे बहू-बेटे के पास गया तो बेटा बोला, ‘‘पिता जी, आपने जो 5 दाने दिए थे अब वे गेहूं की 50 बोरियों में बदल चुके हैं। हमने उन्हें संभाल कर गोदाम में रख दिया है, उन पर आप ही का हक है।’’ 

यह देख अमरसेन ने फौरन तिजोरी की चाबियां सबसे छोटे बहू-बेटे को सौंप दी और कहा, तुम ही लोग सम्पत्ति के असल हकदार हो।

मिली हुई जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभाना चाहिए और मौजूद संसाधनों, चाहे वे कितने कम ही क्यों न हों, का सही उपयोग करना चाहिए। गेहूं के 5 दाने एक प्रतीक हैं जो समझाते हैं कि कैसे छोटी से छोटी शुरूआत करके उसे एक बड़ा रूप दिया जा सकता है।

Niyati Bhandari

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