अनंग त्रयोदशी है आज: प्रेमी जोड़े और दंपत्ति Love Bond करें स्ट्रांग

Sunday, Dec 11, 2016 - 09:06 AM (IST)

आज चैत्र शुक्ल त्रयोदशी का दिन है। पुराणों में इस दिन को अनंग त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रेमियों के ह्रदय में जब यौवन अंगड़ाई लेता है। कामदेव के फूलों से बने धनुष की कमान स्वरविहीन होकर उन पर वार करती है। यानी कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाते हैं। ये एक भाव है जो प्यार करने वालों के प्रेम में समाहित हो जाता है। रति-काम महोत्सव की यह अवधि कामो-दीपक होती है।


आज के दिन प्रेमी जोड़े और दंपत्ति अपने संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं तो काम देव और उनकी पत्नी रति के साथ शिव पार्वती का पूजन करें।


प्रलय का प्रतीक भगवान शिव का तीसरा नेत्र पहली बार कामदेव के कारण खुला था। शिव की साधना में विध्न डाल रहे काम देव को भगवान शिव के तीसरे नेत्र ने भस्म कर दिया था। पौराणिक कथा के अनुसार


तारक नाम के असुर ने अपना आतंक फैला रखा था। जिस से देवता बहुत भयभीत थे। जब देवताओं को ज्ञात हुआ की कि पार्वती और शिव का पुत्र ही तारक का संहार कर सकता है। सभी देवता शिव-पार्वती का विवाह कराने का प्रयास करने लगे। भगवान शिव को पार्वती जी के प्रति प्रेमसक्तत करने के लिए देवताओं ने कामदेव को उनके पास भेजा, किंतु पुष्पायुध का पुष्पबाण भी शंकर के मन को विक्षुब्ध न कर सका। उलटा कामदेव उनकी क्रोधाग्नि से जल कर भस्म हो गए।


शिव के क्रोध का वेग उस समय इतना बढ़ा हुआ था की संपूर्ण लोक उसमें जलने लगे। किसी में इतनी क्षमता न थी की वो भगवान शिव के क्रोध को शांत कर सके। तभी कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव के चरण पकड़ लिए और उनका वेग शांत हो गया। कामदेव ने अपने प्राण न्यौछावर करके भगवान शिव को पार्वती जी के साथ विवाह करने के लिए मना लिया। 


भगवान शिव ने रति को आशीर्वाद दिया कि तुम पति-पत्नी मनुष्य के हृदय में काम और प्रेम बढ़ाने का कार्य करोगे, जिससे की सृष्टि चक्र चलेगा। 

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