70 साल से इस मंदिर के तालाब में रहता है “बबिया”, भोजन में लेता है भगवान का प्रसाद
punjabkesari.in Saturday, Aug 29, 2020 - 11:52 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज परिवर्तिनी एकादशी है, शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ उनके वामन अवतार की पूजा का विधान होता है। यूं तो साल में पड़ने वाली प्रत्येक एकादशी का अधिक महत्व बताया जाता है परंतु इस एकादशी का महत्व अलग ही माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यताएं है कि इस दिन शयन अवस्था में करवट लेते हैं। यही कारण है कि इस पावन दिन लोग भगवान विष्ण के अनेकों प्राचीन मंदिरों आदि में जाकर उनकी विधि वत पूजन अर्चना कर उनकी कृपा मांगते हैं। हालांकि इस बार कोरोना के चलते लोग मज़बूरन अपने अपने घरों में बैठे हैं। तो ऐसे में हम आपको घर बैठे ही विष्णु भगवान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां श्री हरि शयन मुद्रा में है। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के सबसे अनोखे व दिलचस्प रहस्य के बारे में, जो जुड़ा भगवान विष्णु के भक्त बबिया से-
किसी भी मंदिर में कोई तालाब का होना बड़ी बात तो नहीं, तो वहीं इन तालाबों आदि में कोई मछली या मगरमच्छा का होना भी आम ही होता है। मगर यदि बात करें केरल के कसारागोड में स्थित आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर की तो यहां मौजूद मगरमच्छ आम मगरमच्छों से बेहद अलग है। जी हां, कहा जाता है भगवा विष्णु के इस मंदिर की ही तरह बबिया नामक मगरमच्छ भी बेहद रहस्यमयी है।
बता दें कि केरल के कसारागोड में स्थित आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर के पास तालाब में एक मगरमच्छ पिछले 70 साल से रह रहा है। जिसकी सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि ये मगरमच्छ शाकाहारी यानि vegetarian है। हम जानते हैं आपके लिए ये मानना थोड़ा ये बिना मांस-मछली खाए दिन में चावल खाकर ज़िंदा रहता है। कहते हैं कि ये मगरमच्छ पूरी तरह से धर्म का अनुसरण कर रहा है और भोजन में सिर्फ मंदिर का प्रसाद या फिर भक्तों द्वारा दिया गया प्रसाद ही खाता है।
रोज़ाना दो बार दिया जाता है प्रसाद-
शाकाहारी मगरमच्छ होने के नाते बबिया के भोजन का सारा बंदोबस्त मंदिर द्वारा किया जाता है। खाने से लेकर देखरेख की पूरी व्यवस्था व सुविधा दी जाती है। उसे दिन में दो बार गुड़ और चावल का प्रसाद दिया जाता है। हालांकि मगरमच्छ को सबसे खतरनाक जानवर कहा जाता है। लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है। इसका सबसे बड़ा नमूना तो ये है कि मगरमच्छ के होते हुए भी तालाब में मंदिर के पुजारी डुबकी लगा देते हैं और उन्हें कभी कुछ नहीं होता।
बताया जा रहा है कि बबिया 70 से ज्यादा सालों से इस तालाब में रह रहा है। इतना ही नहीं मंदिर के तालाब में बबिया इकलौता मगरमच्छ है। अन्य रिपोर्टस के मुताबिक मंदिर में हमेशा से एक ही मगरमच्छ रहता है। अगर एक मरता है तो उसकी जगह दूसरा मगरमच्छ आ जाता है। इतना ही नहीं यह मगरमच्छ कहां से आता है और कहां रहता है इसका भी पता नहीं चल पाया है। मगरमच्छ सिर्फ प्रसाद खाने के लिए ऊपर आता है और प्रसाद खाकर दोबारा गुम हो जाता है। चलिए अब आपको पद्मनाभ स्वामी मंदिर के बारे में बताते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ये हिंदूओं के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। ये मंदिर वैष्णव मंदिरों में शामिल है। इसके गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति विराजित है। इनके दर्शन के लिए दिनों-रात भक्तों की भीड़ लगी रहती है। बता दें कि इस मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजा ने बनवाया था जिसका जिक्र 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी है। कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम इस जगह आए थे और उन्होंने यहीं भगवान के लिए प्रसाद भी बनाया था। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजमान है। इस मंदिर में एक सोने का स्तंभ भी बना हुआ है जो मंदिर के सौंदर्य को और भी बढ़ा देता है। अगर आप कभी पद्मनाभ स्वामी मंदिर गए हों और आपने शाकाहारी मगरमच्छ को देखा हो हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।