हमेशा करें इन पर भरोसा नहीं तो...

Tuesday, Feb 05, 2019 - 01:06 PM (IST)

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शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति जैसा सोचता है उसके साथ वैसा ही होता है। फिर चाहे वो अच्छा सोचे या बुरा उसके साथ वहीं होगा। इसलिए हमें हमेशा खुद के लिए और दूसरों के लिए सही सोच को ही बरकरार रखना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि लोग अपने जीवन में बहुत से व्यक्तियों पर आंख बंद करके भरोसा कर लेते हैं, लेकिन ये हमेशा सही नहीं होता कि हम हर किसी पर ही विश्वास कर लें। अक्हसर हमें सिखाया जाता है कि कभी किसी पर आंख बंद करके भरोसा न करना चाहिए वरना एक न एक दिन खुद का ही नुकसान हो सकता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि शास्त्रों के अनुसार हमें किन पर भरोसा करना चाहिए लेकिन अगर हम उन पर विश्वास न कर पाए तो व्यक्ति को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

नीतिसार श्लोकः
देवे तीर्थे द्विजे मंत्रे दैवज्ञे भेषजे गुरौ।
याद्रशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति ताद्रशी।।

अर्थात- देवता, तीर्थ, ब्रह्मा, मंत्र, ज्योतिषी, औषध और गुरु में जिसकी जैसी भावना रहती है, उसे उनका वैसा ही फल मिलता है।

देवताः आज के समय में भी कई लोग ऐसे हैं जोकि भगवान पर भरोसा नहीं करते और ऐसे लोगों को नास्तिक कहा जाता है। कई बार ऐसा होता है कि अगर हमारा कोई काम या इच्छा पूरी न हो तो हमारा विश्वास भगवान से उठ जाता है और हम उनकी पूजा करना भी छोड़ देते हैं। लेकिन जो लोग अपनी आस्था भगवान पर से खत्म कर देते हैं उन लोगों के साथ वैसा ही होता जैसा वे सोचते हैं। तो इसलिए हमें कभी भी भगवान  पर से अपनी आस्था नहीं छोड़नी चाहिए। भगवान के प्रति हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

गुरुः अपने जीवन को सफल बनाने के लिए एक श्रेष्ठ गुरु का होना बहुत जरूरी माना गया है। क्योंकि एक गुरु ही होता है जो व्यक्ति को सही और गलत के बारे में बताते हैं। जो व्यक्ति अपने गुरु द्वारा बताई गई शिक्षाओं को ग्रहण नहीं करता तो उसका जीवन जीते जी नरक की तरह बन जाता है। इसलिए हमें उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए तभी जीवन में सफलता को हासिल किया जा सकता है। 

तीर्थः शास्त्रों में कहा गया है कि तीर्थ स्थानों पर खुद भगवान निवास करते हैं। ऐसी जगहों पर हमेशा लोगों की भीड़ जमा रहती है जिसकी वजह से वहां गए लोगों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। तो ऐसे में कई बार लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती हैं जिसकी वजह से लोगों के मन में तीर्थों के प्रति नकरात्मक भाव आ जाता है लेकिन व्यक्ति को कभी भी अपने मन में इस भाव को नहीं आने देना चाहिए। ऐसी भावना रखने से तीर्थ की यात्रा करने पर भी मनुष्य को उसका पुण्य नहीं मिलता है। इसलिए हमें हमेशा सही भावना को ही मन में रखना चाहिए।
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