राजा बनने की चाह है तो हमेशा याद रखे ये बात

Friday, Apr 03, 2020 - 02:59 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

बहुत समय पहले की बात है, सुदूर दक्षिण में किसी प्रतापी राजा का राज्य था। राजा के 3 पुत्र थे। एक दिन राजा के मन में आया कि पुत्रों को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाए कि समय आने पर वे राज-काज संभाल सकें। इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबार में बुलाया और बोला, ‘‘पुत्रो, हमारे राज्य में नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है, मैं चाहता हूं कि तुम सब 4-4 महीने के अंतराल पर इस वृक्ष की तलाश में जाओ और पता लगाओ कि वह कैसा होता है?’’

राजा की आज्ञा पाकर तीनों पुत्र बारी-बारी से गए और वापस लौट आए। सभी पुत्रों के लौट आने पर राजा ने पुन: सभी को दरबार में बुलाया और उस पेड़ के बारे में बताने को कहा। 

पहला पुत्र बोला, ‘‘पिता जी वह पेड़ तो बिल्कुल टेढ़ा-मेढ़ा और सूखा हुआ था।’’

‘‘नहीं-नहीं, वह तो बिल्कुल हरा-भरा था लेकिन शायद उसमें कुछ कमी थी क्योंकि उस पर एक भी फल नहीं लगा था।’’ दूसरे पुत्र ने पहले को बीच में ही रोकते हुए कहा।

फिर तीसरा बोला, ‘‘भैया, लगता है आप भी कोई गलत पेड़ देख आए क्योंकि मैंने सचमुच नाशपाती का पेड़ देखा, वह बहुत ही शानदार था और फलों से लदा हुआ था।’’

 तीनों पुत्र अपनी-अपनी बात को लेकर आपस में विवाद करने लगे कि तभी राजा अपने सिंहासन से उठे और बोले, ‘‘पुत्रो, तुम्हें आपस में बहस करने की कोई आवश्यकता नहीं है, दरअसल तुम तीनों ही वृक्ष का सही वर्णन कर रहे हो, मैंने जानबूझ कर तुम्हें अलग-अलग मौसम में वृक्ष खोजने भेजा था और तुमने जो देखा वह उस मौसम के अनुसार था। मैं चाहता हूं कि इस अनुभव के आधार पर तुम तीनों बातों को गांठ बांध लो।’’

पहली, किसी चीज के बारे में सही और पूर्ण जानकारी चाहिए तो तुम्हें उसे लंबे समय तक देखना-परखना चाहिए फिर चाहे वह कोई विषय हो, वस्तु हो या फिर कोई व्यक्ति ही क्यों न हो।

दूसरी, हर मौसम एक-सा नहीं होता। जिस प्रकार वृक्ष मौसम के अनुसार सूखता, हरा-भरा या फलों से लदा रहता है उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

तीसरी बात, अपनी बात को ही सही मान कर उस पर अड़े मत रहो, अपना दिमाग खोलो और दूसरों के विचारों को भी जानो।  

Niyati Bhandari

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