अक्षय तृतीया: अपने सौभाग्य को दूसरों के साथ बांटे, मिलेगा अक्षय फल

Monday, Apr 16, 2018 - 10:29 AM (IST)

अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता। माना जाता है कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं, उनका कभी क्षय नहीं होता। इस दिन आरंभ किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं। यही वजह है कि लोग इस दिन कार्यों का शुभारंभ करते हैं। 


हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन हर तरह के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं और उनका फल शुभदायक होता है। वैसे तो हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है लेकिन वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र और आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभ कार्य इस दिन किए जाते हैं। 


अक्षय तृतीया के दिन आभूषणों की खरीद का योग भी माना गया है। इस दिन खरीदा गया सोना अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किसी भी काम में लगाई गई पूंजी दिन दोगुनी और रात चौगुनी बढ़ती है और कारोबार फलता-फूलता है। यह माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी नष्ट नहीं होता और स्वयं श्रीहरि और मां लक्ष्मी उसमें निवास करते हैं। 


अक्षय तृतीया के दिन दान को श्रेष्ठ माना गया है। चूंकि वैशाख मास में सूर्य की तेज धूप और गर्मी चारों ओर व्याप्त रहती है और यह आकुलता को बढ़ाती है तो इस तिथि पर शीतल जल, कलश, चावल, चना, दूध, दही आदि खाद्य पदार्थों सहित वस्त्र और आभूषणों का दान अक्षय व अमिट पुण्य देता है। 


माना जाता है कि जो लोग इस दिन अपने सौभाग्य को दूसरों के साथ बांटते हैं, वे ईश्वर की असीम अनुकंपा पाते हैं। इस दिन दिए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना से इस दिन शिव-पार्वती और नर-नारायण की पूजा का विधान है। चूंकि तृतीया मां गौरी की तिथि है इसलिए इस दिन गृहस्थ जीवन में सुख-शांति की कामना से की गई प्रार्थना तुरंत स्वीकार होती है। गृहस्थ जीवन को निष्कंटक रखने के लिए इस दिन इनकी पूजा की जानी चाहिए ताकि सौभाग्य की प्राप्ति हो।

Niyati Bhandari

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