अक्षय तृतीया 2020 : 6 महीने तक होती है भगवान बद्रीनारायण की विशेष पूजा

Sunday, Apr 26, 2020 - 10:34 AM (IST)

शास्त्रों की बाात, जानें धर्म के साथ
आज यानि 26 अप्रैल, अक्षय तृतीया के दिन की महत्वता तो अब तक आपक अपनी वेबसाइट के माध्यम से बता ही चुके हैं। इसी कड़ी में आज हम बताएंगे कि बद्रीनाथ तथा अक्षय तृतीया से जुड़ी खास बात। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिमालय की गोद, अलखनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थापित धरता का स्वर्ग कहे जाने वाले बद्रीनाथ थाम के कपाट 6 महीने बाद इस दिन खुलता है। बताया जाता है ब्रह्मामुहूर्त में वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ इसके कपाट खोल दिए जाते हैं। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष साल वैशाख मास की अक्षय तृतीया तिथि को ही भगवान बद्रीनाथ के 6 मास से बंद कपाट विधि वत पूजा अर्चना के बाद खुलते हैं, जहां लगातार 6 माह विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक परंपरा है कि भगवान बद्री विशाल के इस धाम में 6 महीने मनुष्य और 6 महीने देवता पूजा होती है। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां साक्षात भगवान नारायण की पूजा करते हैं। कहा जाता है इस दौरान भगवान बद्री विशाल के मंदिर में सुरक्षा कर्मियों के सिवा और कोई भी नहीं रहता। शास्त्रों के अनुसार 8वीं शताब्दी में आदि जगद गुरु शंकराचार्य जी द्वारा किए इस मंदिर बद्रीनाथ धाम में साक्षात भगवान विष्णु निवास करते हैं। हिंदू धार्मिक ग्रंथों व पुराणों में भी इस मंदिर का विशेषतौर पर वर्णन किया गया है। 

यहां जानें भगवान बद्रीनाथ धाम से जुड़ी खास बातें-
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी एक मान्यता अधिक प्रचिलत है कि 'जो आए बदरी, वो न आए ओदरी', जिसका अर्थात है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन एक बार कर लेता है उसे दोबारा माता के गर्भ में नहीं प्रवेश करना पड़ता।

कथाओं के अनुसार दरअसल ये स्थान भगवान भोलेनाथ ने अपने निवास के लिए बनाया था परंतु  श्री हरि विष्णु ने उपहार के रूप में इस स्थान को भगवान शिव से मांग लिया था जिसके बाद से विष्णु जी यहां निवास करने लगे।

पौराणिक मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ धाम असल में दो पर्वतों के बीच बसा स्थित है, जिन्हें नर नारायण पर्वत कहा जाता है।


मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट में 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर देवता ही दीपक को जलाए रखते हैं।

Jyoti

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