कुम्भ मेला: प्रलय में भी नष्ट नहीं होगा प्रयागराज में बसा ये स्थान

Saturday, Mar 02, 2019 - 12:45 PM (IST)

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15 जनवरी से प्रयागराज में कुम्भ मेला चल रहा है। जो 4 मार्च को फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी पर समाप्त हो जाएगा। इस दिन महाशिवरात्रि का पर्व भी पड़ रहा है। ये आखिरी शाही स्नान होगा। इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व माना गया है। कहते हैं इस दिन गंगा में डुबकी लगाने वाला व्यक्ति अमर हो जाता है। शायद तभी संत समाज सोने-चांदी की पालकियों के साथ शाही स्नान करता है। क्या आप जानते हैं संगम के तट पर स्थित अक्षयवट श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है।

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अक्षय वट प्रयागराज में सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह बरगद का बहुत पुराना पेड़ है जो प्रलयकाल में भी नष्ट नहीं होता। पर्याप्त सुरक्षा के बीच संगम के निकट किले में अक्षय वट की एक डाल के दर्शन कराए जाते हैं। हालांकि पूरा पेड़ कभी नहीं दिखाया जाता।

इस तरह के तीन और वृक्ष हैं: मथुरा, वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौद्धवट भी कहा जाता है और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट।

सप्ताह में दो दिन, अक्षय वट के दर्शन के लिए द्वार खोले जाते हैं। हालांकि यह बहुत पुराना सूखा वृक्ष है जो कितने हजार वर्ष पुराना है यह कहा नहीं जा सकता। मगर ऐसा माना जाता है कि प्रलय काल में भगवान विष्णु इसके एक पत्ते पर बाल मुकंद रूप में अपना अंगूठा चूसते हुए कमलवत शयन करते हैं।

क्या है कथा?
पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने यहां पर एक बहुत बड़ा यज्ञ किया था। इस यज्ञ में वह स्वयं पुरोहित, भगवान विष्णु यजमान एवं भगवान शिव उस यज्ञ के देवता बने थे। तब अंत में तीनों देवताओं ने अपने शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी के पाप बोझ को हल्का करने के लिए एक वृक्ष उत्पन्न किया। यह एक बरगद का वृक्ष था जिसे आज ‘अक्षयवट’ के नाम से जाना जाता है। यह आज भी विद्यमान है।

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Niyati Bhandari

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