अजा एकादशी 2020: व्रत करने वाले को होती है अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्ति

Saturday, Aug 15, 2020 - 12:41 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अजा एकदशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। प्रत्येक एकादशी की तरह इस दिन भी हर कोई श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने में जुटे रहते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि साल में आने वाली प्रत्येक एकादशी एक दूसरे से सामान्य होती है। मगर बता दें ऐसा नहीं है। धार्मिक शास्त्रों में हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। इतना ही नहीं प्रत्येक एकादशी से जुड़ी विभिन्न कथा आदि प्रचलित है। चूंकि आज आज एकादशी है, तो चलिए आज आपको बताते हैं कि इससे जुड़ी पौराणिक कथा जिसे पढ़ने सुनने मात्र से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। 
धार्मिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में कुंतीपुत्र युधिष्ठिर ने पूछा, हे भगवान! भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को किस नाम से जाना जाता है, तथा इस व्रत का सनातन धर्म में क्या माहात्मय है, कृपा कर मुझे बताईए। इस पर मधुसूदन ने उत्तर देते हुए कहा कि भाद्रपद कृष्ण एकादशी का नाम अजा है। इस एकादशी का व्रत हर तरह के पापों का नाश करती है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान ऋषिकेश की आराधना करते हैं उन्हें वैकुंठ की प्राप्ति जरूर होती है। चलिए अब आपको इसकी कथा सुनते हैं- 

पौराणिक समय की बात है, हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा थे। जिन्होंने कर्म के वशीभूत होकर राजा हरिशचंद्र ने अपना सारा राज्य, धन, स्त्री, पुत्र यहां तक कि स्वयं को भी बेच दिया। वह चांडाल का दास बन गए और सत्य को धारण करते हुए मृतकों के वस्त्र ग्रहण करने लगे। किसी भीतरह से वह सत्य से विचलित नही हुए। बहुत बार वो इस बात से विचलित भी हो जाते कि आखिर ऐसा क्या किया जाए जिससे उनका उद्धार हो सके।

यही विचार करते करते तीन वर्ष बीत गए। एक दिन की बात है वो यूं ही वो इस चिंता में खोए हुए थे, कि वहां पर गौतम ऋषि का आगमन हुआ। हरिशचंद्र ने उन्हें देखते ही परिणाम किया और अपनी कहानी सुनाई। उनकी गाथा सुनने के बाद ऋषि गौतम ने उनसे कहा, आज से ठीक 7 दिन के बाद आपके जीवन में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आएगी। जिस दौरान आपको विधिपूर्वक व्रत करना होगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। इतना कहकर ऋषि अंतर्ध्यान हो गए।

ऋृषि के कहने अनुसार राजा हरीशचंद्र ने ठीक 7 बाद विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। जिसके प्रभाव स्वरूप राजा के सभी पाप नष्ट हो गए। इतना ही नहीं स्वर्ग से फूलों की बारिश हुई और बाजे बजने लगे। बल्कि इसके अलावा राजा ने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र और आभूषणों के साथ देखा तथा उसे उनका राज्य वापस मिल गया। आखिरी में राजा अपने पूरे परिवार के साथ इस व्रत के प्रभाव से स्वर्ग को प्राप्त हुआ। अत: धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है, जो मनुष्य सच्चे मन और विधिपूर्वक इस व्रत को करता है, उसके समस्त पापों का अंत हो जाता है और वे स्वर्ग को प्राप्त होता है।  

Jyoti

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