Ahmadiyya Mission: पंजाब में जमात-ए-अहमदिया का दूसरा आध्यात्मिक स्थल है होशियारपुर

Wednesday, Feb 21, 2024 - 11:00 AM (IST)

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Musleh Maud Day: हजरत मिर्जा गुलाम अहमद साहिब कादियानी का जन्म कादियान (गुरदासपुर) में 1835 ई. को हुआ। आपने इस्लाम पर हो रहे हमलों का जवाब बराहिने अहमदिया नामक पुस्तकों की शृंखला प्रकाशित कर तर्क के साथ दिया। आपने इस्लाम धर्म में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कार्य किया। आप हजरत मोहम्मद साहिब के सच्चे अनुयायी हैं जो इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप पथभ्रष्ट लोगों के सुधार के लिए आए हैं, इस दावे का ऐलान होने पर कुछ लोगों ने आपकी शिक्षाओं को स्वीकार कर लिया किन्तु कुछ ने आपकी सत्यता पर संदेह करते हुए प्रमाण मांगा।

इस पर मिर्जा गुलाम अहमद साहिब ने ईश्वर से अपनी सत्यता की फरियाद की इस पर ईश्वर ने कहा कि तुम्हारी मनोकामना होशियारपुर में पूर्ण होगी इसलिए वह 22 जनवरी, 1886 को होशियारपुर पहुंचे और 40 दिन तक शहर के बाहर स्थित एक इमारत में उपासना की जिसके परिणामस्वरूप ईश्वर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि 9 साल के भीतर तुम्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्त होगी जो बहुत-सी विशेषताओं से सम्पन्न होगा। भविष्यवाणी को आपने 20 फरवरी, 1886 ई. में प्रकाशित करवाया। इसके अनुसार बटाला के समीप कादियान स्थित आपके घर में 12 जनवरी, 1889 को बेटे ने जन्म लिया जिसका नाम बशीरुद्दीन महमूद रखा गया।

यह बच्चा असाधारण प्रतिभाओं का धनी थी। आप भविष्य में अहमदिया मुस्लिम सम्प्रदाय के दूसरे खलीफा (उत्तराधिकारी) मनोनीत हुए। आपने 52 साल तक कठिन परिस्थितियों में अहमदिया जमायत का नेतृत्व किया। इसके परिणामस्वरूप इस्लाम व अहमदियत की शिक्षाओं का प्रसार पूरी दुनिया में होने लगा।

भविष्यवाणी की उपरोक्त घटना के प्रमुख दिन के महत्व को प्रकट करने के लिए विश्व भर में अहमदिया मुस्लिम जमायत प्रतिवर्ष 20 फरवरी को मुसले मौऊद दिवस के रूप में मनाती है। पुरानी कनक मंडी, होशियारपुर की वह इमारत जिसमें वह भविष्यवाणी हुई थी, अहमदिया जमायत के लिए आज श्रद्धा का केंद्र बन चुकी है। दुनिया भर से अहमदिया समाज के श्रद्धालु इस इमारत में दुआ करने के लिए पहुंचते हैं और परमेश्वर के द्वारा की गई उस भविष्यवाणी के गवाह बनते हैं। 

Niyati Bhandari

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