क्यों दुर्गा मां के इस मंदिर में शाम को नहीं जाते लोग ?

punjabkesari.in Wednesday, Jul 03, 2019 - 01:51 PM (IST)

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कहते हैं एक भगवान का ही दर ऐसा है जिसके द्वार कभी किस के लिए बंद नहीं होते। केवल ईश्वर ही है जो हर वक़्त अपने भक्तों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं और उनकी एक पुकार लगाने पर दौड़े चले आते हैं। इसी के चलते लोग भगवान के घर यानि मंदिर में सुबह-शाम आते जाते रहते हैं और अपनी जीवन की खुशहाल बनाने की प्रार्थना करते हैँ। हिंदू धर्म में मंदिर को एक पावन स्थली कहा जाता है क्योंकि यही एक ऐसी जगह होती है जहां कहते हैं देवी-देवताओं की प्रतिष्ठित प्रतिमाओं में प्राण होते हैं। कहने का भाव ये है ये ऐसी जगह होती हैं जहां ईश्वर के किसी भक्त को जाने की मनाही नहीं होती।
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अब सोच रहे होंगे ये सब तो हम सब जानते है, आख़िर हम आपको ये सब क्यों बता रहे हैं। तो आपको बता दें कि इस में कोई दोराह नहीं है कि हर मंदिर में सुबह-शाम आरती होती है। मगर इससे जुड़े जो बात हम आपको बताने वाले हैं उसे चाहकर भी झुठलाया नहीं जा सकता। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के देवास ज़िले में स्थित मंदिर की, जहां शाम के बाद किसी का जाना मना है। जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं इस मंदिर में देवी के भक्तों को शाम के बाद जाने की मनाही है। कहा जाता है इस मंदिर से जुड़े और भी किस्से व कहानियां प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़े दिलचस्प व रोचक तथ्यों के बारे में-

दुर्गा मां के इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण होने के बाद से राजघराने में हर दिन कोई न कोई अशुभ घटना घटने लगी और परिवार में हर रोज़ झगड़े होने लगे। एक दिन कलह-क्लेश इतना बढ़ गया कि परिवार के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। कुछ इतिहासकारों के अनुसार राजकुमारी का किसी सेनापति के साथ प्रेम संबंध है ऐसी भी खबरें राज्य में फैल गई। जिनके बाद राजकुमारी को महल में बंधक बना लिया क्योंकि राजा नहीं चाहता था कि राजकुमारी किसी सेनापति से प्यार करे और उसे राजघराने का हिस्सा बना दे।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार कुछ महीनों के बाद राजकुमारी की मौत हो गई। जिसके बारे में भी राज्य में अलग-अलग बातें कही जाने लगी। कुछ लोगों ने इसे आत्महत्या बताया तो वहीं कुछ लोगों ने हत्या बताया।

राजकुमारी की मौत के कुछ ही दिन बाद एक सेनापति ने भी आत्महत्या कर ली। सेनापति की मौत के बाद लोगों ने राजकुमारी से जुड़ी सभी खबरों को सच मान लिया। राज्य में हो रही इन बस घटनाओं के बाद दुर्गा मां के एक मंदिर के राजपुरोहित ने राजा से इस बारे में कहा कि यह मंदिर अपवित्र हो चुका है, अब यहां पूजा-अर्चना करने का कोई मतलब नहीं है। और राजपुरोहित ने मंदिर में लगी मूर्ति को हटाकर कहीं और लगाने की बात कही।

राजा ने राजपुरोहित की बात मानकर दुर्गा मां की प्रतिमा को उज्जैन के दूसरे मंदिर में लगवाया। लेकिन राज्य में व राजा के परिवार में हो रही घटनाओं में कमी नहीं आई। कहा जाता है जिसके बाद से आज तक मंदिर में अलग-अलग संदेहास्पद गतिविधियां होती रहती हैं। यहां के लोगों की मानें तो कभी यहां मंदिर से कभी शेर के दहाड़ने की अवाज़ तो कभी कोई आवाज़ सुनाई देती है।
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इसके अलावा मंदिर के पास रहने वाले निवासियों का कहना है कि शाम होने के बाद यहां कई आत्माएं आ जाती हैं। जिसके कारण सूरज डूबने के बाद यहां कोई नज़र नहीं आता। बताया जा है इस मंदिर को कई बार तोड़ने की भी कोशिश की गई लेकिन आजतक मंदिर का कोई बाल भी बांका नहीं हुआ। बल्कि जिसने भी मंदिर को तोड़ने की कोशिश की उसके जीवन में अजीब घटनाएं घटित हुई है।


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Jyoti

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