भीम ने की थी पिंडी की स्थापना, मन्नत पूर्ण होने पर चढ़ाते हैं नारियल अौर चुनरी

Sunday, Nov 27, 2016 - 11:56 AM (IST)

गोरखपुर से 51 कि.मी. उत्तर हिमालय की तराई में महराजगंज के फरेन्दा तहसील से नौ कि.मी. की दूरी पर पवह नदी के तट पर शक्तिपीठ माता आद्रवासिनी लेहड़ा देवी का मंदिर स्थित है।  इस दुर्गामाता मंदिर का पौराणिक अौर एेतिहासिक महत्व है। 

 

माता आद्रवासिनी शक्तिपीठ लेहड़ा दुर्गा मंदिर का संबंध महाभारत से माना जाता है। माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान अधिक समय यहीं पर व्यतीत किया था। कहा जाता है कि इस मंदिर में भीम ने पिंडी की स्थापना की थी। यहां पर पांडवों ने मां जगदम्बा की आराधना की थी। 

 

पौराणिक कथाअों के आधार पर कहा जाता है कि किसी समय यहां से होकर पवह नदी बहा करती थी। आज भी वह नदी नाले के रुप में मंदिर के पीछे मौजूद है। कहा जाता है कि एक बार देवी सुंदर कन्या के रुप में नाव से नदी पार कर रही थी। देवी के सुंदर स्वरूप को देखकर नाविक ने दुर्भावना से मां को स्पर्श करने की कोशिश की। उसी समय देवी अपने विलक्षण स्वरूप में आ गई। नाविक मां जगदम्बा का विलक्षण स्वरूप देखकर घबरा गया अौर उनके पैरों में गिरकर क्षमा मांगने लगा। मां जगदम्बा को नाविक पर दया आ गई। उन्होंने नाविक को वरदान दिया कि आद्रवन शक्तिपीठ मेरे दर्शनों हेतु आने वाले श्रद्धालु तुम्हें भी याद करेंगे। 

 

एक अन्य लोक मान्यता के अनुसार बर्तानिया शासन में एक दिन सैन्य अधिकारी शिकार करते हुए मंदिर आए। मंदिर पर भक्तों की भीड़ देखी अौर पिंड़ी पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी। जिससे वहां खून की धारा बहने लगी। खून देख कर अंग्रेज अफसर डर गया अौर जब वह वापिस कोठी की अोर आ रहा था तभी घोड़े सहित उसकी मौत हो गई। कहा जाता है कि उस अंग्रेज अफसर की कब्र मंदिर से एक कि.मी दूर पश्चिम में स्थित है। इस घटना के बाद भक्तों की श्रद्धा मां जगदम्बा के प्रति अोर बढ़ गई। 

 

मंदिर की पूर्व दिशा में एक नाव पर देवी की प्रतिमा मौजूद है। मंदिर का मुख्य प्रसाद नारियल अौर चुनरी है। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मन्नत मांगने से अवश्य पूर्ण होती है। नवरात्रों में यहां दूर-दूर से भक्तजन मां के दर्शनों के लिए आते हैं। भक्त मन्नत पूर्ण होने पर मां जगदम्बा को नारियल अौर चुनरी चढ़ाते हैं। 

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