तुलसीदास से जानें कैसी संगति का होता है लाइफ में Important Role

Friday, Sep 06, 2019 - 05:45 PM (IST)

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संगति अच्छी-बुरी तरह की होती है। मगर ये हमारे हाथ में होता है कि हमे कैसी संगति के साथ रहते है और कैसे अपने आपको को उसमें डाल लेते हैं। ये संगति हमारे आस पास रहने वाले लोग ही होते हैं। हम जानते है आप में से लगभग लोगों को यही लगता होगा कि ये सिर्फ़ कहने की बाते हैं। मगर ऐसा नहीं हमारे हिंदू धर्म के बहुत से ग्रंथों में इससे संबंधित कई ऐसी बातें पढ़ने को मिलती है। आज हम आपको बताने वाले हिंदू धर्म के एक प्रमुख ग्रंथ रामचरितमनस में दी गई ऐसी चौपाई के बारे में जिस पढ़न के बाद आपको अच्छे से पता चल जाएगा कि संगति का हमारे जीवन पर कैसा असर पड़ता है।

गगन चढ़इ रज पवन प्रंसगा। कीचहिं मिलइ नीच जल संगा।।
साधु असाधु सदन सुक सारीं। सुमिरहिं राम देहिं गनि गारीं।। 


तुलसीदास जी का कहना है जिस तरह से हवा के साथ मिलकर धूल आंधी का असर आकाश तक होता है और मिट्टी में जल मिलकर कीचड़ बन जाता है, उसी तरह का असर इंसान के जीवन में संगत का होता है।

जैसे साधु के घर पर तोता-मैना परमात्माका नाम जपते हैं और असाधु के घर में तोता-मैना गिन-गिन कर गालियां देते हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक कथा का वर्णन भी है जिसमे दो तोतो का जिक्र है। कुछ समय बाद उनमे से एक तोता साधु सन्यासियों के साथ रहता है और दूसरा तोता डाकुओं के साथ रहने लगता है। साधु सन्यासियो के साथ रहने वाला तोता दिन रात भगवान का नाम रटता रहता है। वही डाकुओ के साथ रहने वाला तोता अशब्दों का प्रयोग करने लगता है। वातावरण का बड़ा ही व्यापक असर हमारे जीवन मे पड़ता है। अच्छी संगति का होना बेहद आवश्यक है। 

 

Jyoti

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