बड़े से बड़े पापी के भी पाप नष्ट कर सकता है ये अद्भुत मंत्र

Friday, Nov 15, 2019 - 05:47 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कोई अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए तो कोई मन की शांति के लिए भगवान की पूजा-अर्चना करता है। इनमें से बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो पूजा-पाठ के कार्य से कोसों दूर रहते हैं। किसी  पास समय नहीं होता तो वहीं कुछ लोग ये बहाना लगा देते हैं कि वो पूजा-पाठ की विधि से अंजान है। परंतु बता दें हिंदू धर्म के शास्त्रों में हर किसी ईश्वर का स्मरण करना आवश्यक बताया गया है।कहा जाता है प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन जो भी हासिल कर पाता है उसमें जितनी उसकी मेहनत होती है उतनी ही भगवान की कृपा भी शामिल होती है। क्योंकि बिना परमात्मा के आशीर्वाद से कोई व्यक्ति अपने जीवन में वो सब कुछ हासिल नहीं कर सकता है जिसका वो बचपन से सपना सजाता है। तो अगर आप भी अपनी बिज़ी लाइफ के चलते थोड़ा समय भगवान के चरण नें लगाएंगे तो निश्चित ही सफलता पाएंगे। परंतु अगर आप आप उन लोगों की गिनती में आते हैं जो पूजा-पाठ करते हैं फिर भी उन्हें उसका फल नहीं मिल पा रहा तो आपको बता दें इसका कारण पूजा में की गई कोई छोटी-बड़ी गलती हो सकती है।

अब आप में से कुछ लोग यकीनन यही सोच रहे होंगे कि ऐसे में क्या किया जाए तो आपको बता दें शास्त्रों में प्रार्थना, स्नान, ध्यान, भोग के मंत्रों की तरह ही क्षमायाचना के मंत्र भी बताए हैं। कहा जाता है जब हम अपनी गलतियों के लिए भगवान से क्षमा मांगते हैं, तभी पूजा पूरी होती है। क्षमा सबसे बड़ा भाव है। ये हमारे अहंकार को मिटाता है।

क्षमा याचना मंत्र-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

अर्थ- हे परमेश्वर, मैं आपको न तो बुलाना नहीं जानता हूं और न ही विदा करना जानता हूं। न ही मैं विधिवत आपकी पूजा करना जानता हूं। मेरे अपराधों के लिए मुझे क्षमा करें। मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया तथा न ही मैं आपकी भक्ति करना जानता हूं। फिर भी अपनी क्षमता अनुसार पूजा कर रहा हूं, कृपया मेरी भूल को क्षमा कर मुझ अज्ञानी की पूजा को पूर्णता प्रदान करें। मुझे क्षमा कर मेरे अहंकार को दूर करें।
 

Jyoti

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