आलस्य का त्याग कर मन, वचन, कर्म से व्यवहार करना है पुरुषार्थ

Saturday, Aug 31, 2019 - 10:39 AM (IST)

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जालंधर: आर्य समाज माडल टाऊन में श्रावणी उपाकर्म के उपलक्ष्य में चल रहे वेद प्रचार पखवाड़ा कार्यक्रम में प्रवचन करते हुए आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने कहा कि मनुष्य के परिश्रम के  बिना परमात्मा उसके किसी कार्य को सिद्ध नहीं करते। उन्होंने कहा कि तप और पुरुषार्थ दोनों अलग हैं।

तप का अर्थ है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी विपत्तियों का सामना करना और पुरुषार्थ का अर्थ है आलस्य का त्याग करके मन, वचन और कर्म से उत्तम व्यवहार करना। जो लोग जीवन में पुरुषार्थ नहीं करते उन्हें परमात्मा भी कुछ नहीं देता।

समाज के प्रधान अरविंद घई ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सच्चे मन के साथ ईश्वर से की गई प्रार्थना कभी बेकार नहीं जाती, उसका फल जरूर मिलता है।

सुरिन्द्र सिंह गुलशन ने ‘तूने मुझे दाता बहुत कुछ दिया है, तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है।‘

राजेश अमर प्रेमी ने 'हुआ ध्यान में ईश्वर के जो मगन, उसे कोई क्लेश न रहा’ व 'रश्मि घई ने 'दुनिया बनाने वाला, दुनिया मिटाने वाला, सबका है दाता भगवान, माने न माने इंसान भजन गाकर सभी को निहाल किया।

इस अवसर पर प्रि. विनोद कुमार, नरेश पाहवा, पुरुषोत्तम लाल अरोड़ा, कमल किशोर आर्य, पंडित सुभाष कुमार, शाम सुन्दर धवन, प्रदीप आनंद, बलदेव मेहता, शशि मेहता, गीता शूर, रजत चतरथ, सुचेता खुराना, रमा नागपाल, सुशीला भगत, प्रोमिला अरोड़ा, रजनी सेठी, सुशील खरबंदा, रमेश चोपड़ा, जोगिन्द्र भंडारी व अन्य भी मौजूद थे।

Jyoti

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