फलों के राजा आम की लकड़ी झोपड़ी में भी दे सकती है महलों का सुख

Wednesday, May 11, 2022 - 09:24 AM (IST)

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Aam ki lakdi ka swastik: भारतीय संस्कृति के मांगलिक प्रतीकों में स्वस्तिक का सर्वोच्च स्थान है। जीवन के प्राय: प्रत्येक शुभकारी कार्य में स्वस्तिक की आकृति उकेरकर, अंकित कर सब प्रकार के कल्याण की कामना की जाती है। तात्पर्य यह है कि सर्व मंगल, कल्याण की दृष्टि से, सृष्टि से सर्वव्यापकता ही स्वस्तिक की गूढ़तम रहस्यमयता है।

अनंत शक्ति, सौंदर्य, चेतना, सुख-समृद्धि, परम मंगल एवं सम्पूर्णता आदि प्रतीकार्थों को संजोए स्वस्तिक समाज के सभी वर्गों द्वारा अत्यधिक आदर-सम्मान और श्रद्धा के साथ अपनाया जाता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी अक्षुण्ण कल्याणकारी उपयोगिता को बनाते हुए स्वस्तिक पूज्य एवं प्रेरक है, तभी तो साहित्य, संस्कृति, कला, अध्यात्म आदि में इसे उत्कृष्ट स्थान दिया गया है।

मांगलिक कार्यों में आम की पत्तियां पतले धागों में बांध कर घर के प्रवेश द्वार पर बांधने की भी परम्परा है। यही नहीं अपितु दीपावली के अवसर पर तो शहरों में भी लोग आम की पत्तियां अपने-अपने आवासों के प्रवेश द्वारों पर लटकाते एवं बांधते हैं।


मंडपाच्छादन में भी आम की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है तथा विविध अवसरों पर तोरण, बांस के खम्भे, केले के खम्भे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परम्परा है। इस प्रकार आम का वृक्ष इतना पावन तथा उपयोगी है कि इसकी पत्तियां, लकड़ी, फल, आम्र मंजरी आदि से लोग लाभान्वित होते हैं। फलों के राजा आम की लकड़ी झोपड़ी में भी दे सकती है महलों का सुख।

आम की लकड़ी और स्वस्तिक दोनों का संगम कर अर्थात आम की लकड़ी का स्वस्तिक बनाकर उपयोग किया तो परिणाम बहुत ही सुखद थे। आप भी इस आम की लकड़ी के बने स्वस्तिक को अपने घर के दरवाजे पर, अपनी पूजा की अलमारी पर, शुभ स्थानों पर अथवा जिस कोण में वास्तु दोष है वहां पर लगा सकते हैं और परिणाम स्वयं महसूस कर सकते हैं। आप चाहें तो इसे लाल रंग से रंग भी सकते हैं लेकिन ध्यान रखें कि मात्र ऊपरी परत पर ही रंग लगाएं।

 

 

Niyati Bhandari

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