अद्भुत रहस्य: इस मंदिर में शिवलिंग के समक्ष मुस्लिम करते हैं इबादत!

Saturday, Feb 20, 2021 - 02:03 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वर्तमान समय की बात करें तो आज हर जगह धर्म और मज़हब के नाम पर लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बन हुए हैं। मगर क्या आप जानते हैं इन झगड़ों आदि के बीच हमारे देश में एक स्थान है जहां हिंदू-मुसलमान साथम मिलकर पूजा करते हैं। जी हां, आपको भी यह जानकार हैरान हुई होगी। मगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिल में  स्थित सरया, इस अद्भुत दृश्य का साक्षी है। दरअसल बताया जाता है इस गांव में यह भगवान भोलेनाथ का एक मंदिर है, जहां लगभग 100 साल पुराना है शिवलिंग स्थापित है। इस शिवलिंग की सबसे खास बात तो ये है कि यहां इसकी पूजा न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिक लोग भी करते हैं। आइत जानते हैं मंदिर से जुड़ी अन्य जानकारी-

बता दें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर एक क़स्बा स्थित है खजनी, जिसके पास सरया तिवारी नामक एक गांव है, जहां भोलेनाथ का यह मंदिर स्थित है। लोक मान्यता है कि इस मंदिर में हिंदू मुस्लिम दोनों धर्म के लोग मिलकर श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। मगर इसके पीछे का कारण क्या है, जानें आगे-
 

इसलिए मुस्लिम करते हैं शिवलिंग की पूजा:
प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार मुस्लिमों द्वारा इस शिवलिंग की पूजा करने का कारण, इस शिवलिंग के ऊपर उर्दू भाषा में एक कलमा ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र रसुलुल्लाह’ है, जिसे इस्लाम का पवित्र वाक्य माना जाता है कहा जाता है कि इसी कलमे की वजह से इस मंदिर में खासतौर पर रमजान के पाक माह के दौरान मुस्लिम समाज के लोग अपने अल्लाह की इबादत करने के लिए जाते हैं।

किसने और क्यों शिवलिंग पर खुदवाया कलमा:
लोक मान्यताओं हैं कि जिस समय महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण करके भारत के मंदिरों को लूट रहा था तब  उसको इस मंदिर का पता चला। उसने यहां पहुंच कर मंदिर को तहस-नहस कर दिया और शिवलिंग को भी उखाड़ने का प्रयास किया परंतु गजनवी की पूरी सेना इस शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित हुई। उसकी सेना जितनी गहराई में खुदाई करती, शिवलिंग उतना ही बढ़ता जाता था।

ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित होने पर गजनवी ने इस शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया। महमूद गजनवी के द्वारा इस अद्भुत शिवलिंग पर कलमा खुदवाने का एक मात्र उद्देश्य यह था कि हिंदू समुदाय के लोग इस शिवलिंग की पूजा न कर सकें, परंतु आज के समय में यह शिवलिंग सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन चुका है। जहां न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम भी आते हैं। एक तरफ़ हिंदू पूजा करते हैं तो वहीं दूसरो ओर इस शिवलिंग के समक्ष मुस्लिम इबादत करते हैं।
 

Jyoti

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