संसार का कोई पुरूष नहीं चुका सकता ये कर्ज, क्या आप में है दम

punjabkesari.in Wednesday, Feb 15, 2017 - 10:26 AM (IST)

पत्नी बार-बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार-बार उसको अपनी हद में रहने को कह रहा था लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी व चीख-चीख कर कह रही थी कि उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारे व मेरे अलावा इस कमरे में कोई नहीं आया। अंगूठी हो न हो मां जी ने ही उठाई है।


बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा दे मारा। अभी 3 महीने पहले ही तो शादी हुई थी। पत्नी से तमाचा सहन नहीं हुआ। वह घर छोड़कर जाने लगी और जाते-जाते पति से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यों है? तब पति ने जो जवाब दिया उसको सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां का मन भर आया। पति ने पत्नी को बताया कि जब वह छोटा था तब उसके पिता जी गुजर गए। मां मोहल्ले के घरों में झाड़ू-पोंछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था।


मां एक थाली में मुझे खाना परोस देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और कहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में हैं, बेटा तू खा ले। मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता था कि मां मेरा पेट भर गया है। मुझे और नहीं खाना है। मां ने मेरी जूठी आधी रोटी खाकर मुझे पाला-पोसा और बड़ा किया है। आज मैं दो रोटी कमाने लायक हो गया हूं लेकिन यह कैसे भूल सकता हूं कि मां ने उम्र के उस पड़ाव पर अपनी इच्छाओं को मारा है, क्या वह मां आज उम्र के इस पड़ाव पर किसी अंगूठी की भूखी होगी। यह मैं सोच भी नहीं सकता। तुम तो 3 महीने से मेरे साथ हो। मैंने तो मां की तपस्या को पिछले 25 वर्षों से देखा है। यह सुनकर मां की आंखों से आंसू छलक उठे। वह समझ नहीं पा रही थी कि बेटा उसकी आधी रोटी का कर्ज चुका रहा है या वह बेटे की आधी रोटी का कर्ज।


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