श्री हरमिलाप मिशन का 110वां वार्षिक यज्ञोत्सव आज से आरंभ

Tuesday, Jun 20, 2017 - 08:30 AM (IST)

देश के ऋषियों-मुनियों ने समय-समय पर लोगों को शास्त्र सम्मत जीवन जीने की प्रेरणा दी। इस महत्वपूर्ण उपदेश को क्रियात्मक रूप देने के लिए विभिन्न ग्रंथों की रचना भी की। समय-समय पर कई सच्चे संतों ने धर्म स्थानों का निर्माण भी करवाया।श्री हरमिलाप मिशन के 11वें सतगुरुदेव श्री मुनि हरमिलापी जी ने सन् 1924 में श्री हरमिलाप मिशन की बागडोर संभालने के बाद जनहित के लिए कई धर्म स्थानों का निर्माण करवाया।  वह फरमाते थे कि गृहस्थी मकान बनाता है और संत धर्म स्थान बनाता है। गृहस्थी का मकान परिवार के लिए होता है और संतों का स्थान सच्चे श्रद्धालुओं के लिए होता है।


देश विभाजन के बाद सतगुरुदेव श्री मुनि हरमिलापी जी महाराज ने श्रावण नाथ नगर, हरिद्वार में 12 नवम्बर, 1955 को श्री हरमिलाप भवन का निर्माण करवाया। इस भवन में भगवान श्री राधा कृष्ण जी, श्री हनुमान जी व माता दुर्गा जी की पावन मूर्तियों के साथ पवन अहारी गोसाईं राम कृष्ण गिरि साहिब व श्री हरमिलाप मिशन के संस्थापक श्री हरमिलाप साहिब जी की दिव्य मूर्तियां भी स्थापित की गईं। श्री हरमिलाप मिशन के नौवें गुरु श्री राम प्यारा साहिब जी व 10वें गुरु श्री परसराम साहिब जी के पवित्र अस्थि कलश बुच्चां (सरगोधा) से लाकर श्री हरमिलाप भवन में स्थापित किए गए। सतगुरु श्री मुनि हरमिलापी जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर श्री हरमिलाप भवन में समाधि दी गई। तत्पश्चात उनकी पावन मूर्ति भी स्थापित की गई।


श्री हरमिलाप भवन आध्यात्मिकता का दिव्य केंद्र है। श्री हरमिलाप मिशन की ओर से कई सेवा कार्य लोगों की भलाई के लिए सतगुरु श्री मुनि हरमिलापी जी महाराज जी ने शुरू किए। उन्होंने हमेशा फरमाया कि-
इबादत है दुखियों की इमदाद करना, जो नाशाद हैं उनका दिल शाद करना खुदा की नमाज और पूजा यही है जो बर्बाद हैं उनको आबाद करना।


उनका महाकाव्य है, ‘‘हरमिलापी बन के दुनिया में सदा गुजरान कर, दिल किसी का मत दुखा, तूं हर में हरि पहचान कर।’’


उन्होंने दुनिया को संदेश दिया कि, ‘‘हर में हरि निहार के, हर से करो मिलाप, घृणा द्वेष फिर क्यों रहे, सब है अपना आप।’’


इसलिए घृणा को प्रेम से जीतो, क्रोध को क्षमा से जीतो, लोभ को संतोष से जीतो, मोह को वैराग से जीतो तथा काम को, आत्म दमन से काबू करो। वासना को खत्म करने के लिए उपासना करो। संसार का कोई पद पदार्थ बंधन का कारण नहीं बल्कि अन्त:करण में छिपा राग द्वेष ही बंधनों में डालता है।


श्री हरमिलाप मिशन के वर्तमान परमाध्यक्ष सतगुरुदेव श्री मदन मोहन हरमिलापी जी महाराज भी श्री हरमिलाप मिशन के मूलभूत सिद्धांतों का निरंतर प्रचार करते हुए लोगों को प्राणीमात्र की सेवा का संदेश दे रहे हैं। उनकी अध्यक्षता में श्री हरमिलाप मिशन का 110वां वार्षिक यज्ञोत्सव 20 जून से 22 जून तक श्रीहरमिलाप भवन, हरिद्वार में परम्परागत शान से मनाया जाएगा।

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