सत्य कहानी: भगवान ने उतारा भक्त का कर्जा

Tuesday, Jan 19, 2016 - 01:39 PM (IST)

एक बार हमारे पूर्व आचार्य श्रील गोपाल भट्टजी ने बहुत बड़ा महोत्सव मनाया जिससे एक बनियां का कुछ कर्ज़ा हो गया। धन के अभाव में आप यथा समय कर्ज़ नहीं चुका सके। जब आप बहुत दिनों तक नहीं आए, बनिए ने निश्चय किया कि कल प्रातः काल आपके घर जाकर, जैसे-तैसे रुपया वसूल किया जाए।

उधर भगवान श्रीराधारमण जी ने विचार किया कि प्रातः काल तो श्रीभट्ट मेरी सेवा-पूजा, राग-भोगादि के आनन्द में मग्न रहते हैं। यदि वह बनियां उस समय आया तो मेरे भक्त के आनंद में बाधा आएगी। 
 
अतः भगवान स्वयं श्रीगोपाल भट्ट जी का रूप धारण कर बनिए के घर जाकर उसके रुपयों का भुगतान कर आए। संयोग से उस दिन किसी सेवक ने श्रील गोपाल भट्टजी को प्रचुर धनराशि भेंट की। आपने सोचा कि कल बनिए का कर्ज़ा चुकता कर दूंगा। दूसरे दिन जब श्रीभट्ट जी उस बनिए के घर गए और रुपया देने लगे तो उस बनिए ने कहा, महाराज! आप क्या कर रहे हैं? रुपया तो आप कल प्रातःकाल ही चुकता कर गए थे।
 
श्रीगोपाल भट्ट समझ गए कि ये सब उनके श्रीराधारमणजी की ही लीला है। श्रीप्रभु कृपा विचार कर आपके नेत्र सजल हो गए।
 
श्री चैतन्य गौड़िया मठ की ओर से
श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज
bhakti.vichar.vishnu@gmail.com
Advertising