दूसरों को समझने में न करें जल्दबाजी

punjabkesari.in Thursday, Mar 15, 2018 - 04:52 PM (IST)

एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गई। कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया। जहाज पर एक युवा दम्पति थे। जब लाइफबोट पर चढ़ने का उनका नंबर आया तो देखा गया कि नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है। इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया।


डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा। अब प्रोफेसर ने रुककर स्टूडेंट्स से पूछा, तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा। ज्यादातर विद्यार्थी फौरन चिल्लाए कि स्त्री ने कहा होगा मैं तुमसे नफरत करती हूं। 


प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडैंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफैसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हें क्या लगता है। वो लड़का बोला, मुझे लगता है कि औरत ने कहा होगा हमारे बच्चे का ख्याल रखना। प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लडके से पूछा, क्या तुमने यह कहानी पहले से सुन रखी थी। लड़का बोला, जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी मां ने मेरे पिता से कही थी। प्रोफेसर ने दुखपूर्वक कहा, तुम्हारा उत्तर सही है।

 

प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाते हुए बताया कि आगे जाकर जहाज डूब गया, स्त्री मर गई, पति किनारे पहुंचा और उसने अपना बाकि जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन-पालन में लगा दिया. कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली। डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी मां एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे।


ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया। उसके पिता ने डायरी में लिखा था, तुम्हारे बिना मेरे जीवन को कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था. लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा। जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी। इस संसार में कई सही गलत बातें हैं लेकिन उसके अतिरिक्त भी कई जटिलताएं हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं। इसलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने-समझे हर परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता।


कलह होने पर जो पहले माफी मांगे, जरूरी नहीं उसी की गलती हो। हो सकता है वो रिश्ते को बनाएं रखना ज्यादा महत्वपूर्ण समझता हो। दोस्तों के साथ खाते-पीते, पार्टी करते समय जो दोस्त बिल पे करता है, जरूरी नहीं उसकी जेब नोटों से ठसाठस भरी हो। हो सकता है उसके लिए दोस्ती के सामने पैसों की अहमियत कम हो। जो लोग आपकी मदद करते हैं, जरूरी नहीं वो आपके एहसानों के बोझ तले दबे हों। वो आपकी मदद करते हैं क्योंकि उनके दिलों में दयालुता और करुणा का निवास है।


आजकल जीवन कठिन इसीलिए हो गया है क्योंकि हमने लोगों को समझना कम कर दिया और फौरी तौर अपनी राय बनाना शुरू कर दिया है। थोड़ी सी समझ और थोड़ी सी मानवता ही आपको सही रास्ता दिखा सकती है। जीवन में निर्णय लेने के कई ऐसे पल आएंगे, इसलिए सदैव किसी पर भी अपने पूर्वाग्रह का ठप्पा लगाने से पहले विचार अवश्य करें। 


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