संत तुकाराम का अपनी पत्नी के प्रति व्यवहार किसी चमत्कार से कम नहीं, आप कैसे पति हैं

punjabkesari.in Thursday, Feb 18, 2016 - 10:31 AM (IST)

भारत वर्ष में बहुत ज्ञानी, विद्वान संतों में एक बहुत बड़े संत हुए संत तुकाराम। शांति के पुजारी संत तुकाराम एक बार शहर से लौट रहे थे। रास्ते में गन्ने का खेत आया। खेत के मालिक ने तुकाराम जी को देखा। प्रसन्न होकर उन्हें प्रणाम किया, उनका स्वागत किया। जाते हुए खेत के मालिक ने तुकाराम जी को अपने खेत से दो-चार गन्ने भेंट किए। तुकाराम वहां से चल दिए। रास्ते में आते-आते कुछ गरीब लोगों को, भूखे लोगों को गन्ने दान देते गए। यूं घर पहुंचते-पहुंचते उनके पास एक ही गन्ना रह गया।
 
संत तुकाराम की पत्नी झगड़ालू थी। जैसे ही उसने तुकाराम को आते देखा, वह घर के बर्तन धो रही थी कि उसका गंदा पानी सीधा तुकाराम जी के ऊपर डाल दिया और बुरा-भला कहने लगी। तुकाराम जी ने शांत चित्त से हंसते हुए घर में प्रवेश किया। उन्होंने धर्मपत्नी की तरफ गन्ना बढ़ाते हुए कहा, ‘आज शहर से लौट रहा था तब गन्ने के खेत के मालिक ने मुझे दो-चार गन्ने थमा दिए। इसलिए ले आया हूं।’ 
 
यह बात सुनते ही धर्मपत्नी को क्रोध आ गया व तुरंत बोली, ‘‘दो-चार दिए और आप तो एक ही गन्ना लेकर आए हो? बाकी के गन्ने कहां हैं?’’
 

तुकाराम ने उत्तर दिया कि वे तो रास्ते में कुछ भूखे और गरीब लोगों में बांट दिए। धर्मपत्नी को गुस्सा आ गया। उसी गन्ने से तुकाराम को पीटने लगी। गन्ने के 2 टुकड़े हो गए। तुकाराम ने हंसते हुए उत्तर दिया, ‘‘अच्छा हुआ पहले एक ही गन्ना था, अब 2 हो गए। दोनों आराम से खा सकते हैं।’’ 


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