बुद्धिमान कुछ इस तरह करते हैं मौत की तैयारी

Friday, Jul 22, 2016 - 11:38 AM (IST)

जीवन कुछ और नहीं बल्कि एक पेड़ है और मृत्यु उस पेड़ का एक फूल। पेड़ का अस्तित्व फूल के लिए होता है न कि फूल का अस्तित्व पेड़ के लिए। जब फूल आते हैं तो पेड़ को खुशी से नाचना चाहिए इसलिए पहले मौत को स्वीकार किया गया है और न केवल स्वीकार किया गया है बल्कि इसका स्वागत किया गया है। यह एक दिव्य मेहमान है। जब यह आपके दरवाजे पर दस्तक देता है तो इसका अर्थ है कि ब्रह्मांड आपको वापस ले जाने को तैयार है।

 

एक मरे हुए इंसान के आसपास बहुत सारी चीजें होनी शुरू हो जाती हैं। जीवित अवस्था में अगर उसने किसी इंसान से गहराई से प्यार किया है तो इसका मतलब है कि उसने अपनी ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा उस इंसान को दिया है और जब वह मर जाता है तो तुरन्त ही वह हिस्सा जो उसने उस इंसान को दिया था वह उस इंसान को छोड़कर वापस मरे हुए इंसान की ओर जाने लगता है। अगर आप यहां मरते हैं और आपका प्रिय हांगकांग में रहता है तो अचानक से कुछ आपके प्रिय को त्याग देगा क्योंकि आपने अपने जीवन का एक हिस्सा उसे दिया है और अब वह हिस्सा वापस आपके पास आ रहा है इसलिए जब आपका कोई प्रिय मरता है तो आपको भी लगता है कि किसी चीज ने आपको छोड़ दिया है। आपके भीतर भी किसी चीज की मौत हो गई है, वहां अब बस एक गहरा घाव, एक गहरी खाई मौजूद है।

 

जब कोई मरता है तो उसकी सांसें रुक जाती हैं और आप सोच लेते हैं कि वह मर गया है। असल में वह मरा नहीं है बल्कि इसमें वक्त लगता है। कभी-कभी अगर वह इंसान लाखों जीवन से जुड़ा हो तो उसे मरने में कई दिन लग जाते हैं। मृत्यु एक दरवाजा है न कि रुकावट। चेतना आगे बढ़ती रहती है लेकिन शरीर दरवाजे पर ही रहता है। शरीर मंदिर के बाहर छूट जाता है और चेतना मंदिर के भीतर प्रवेश कर जाती है। यह एक बहुत ही सूक्ष्म घटना है और जीवन इससे पहले कुछ भी नहीं होता है। मूल रूप से जीवन मौत की तैयारी करना है और जो बुद्धिमान होते हैं वे अपने जीवन के दौरान ही सीख जाते हैं कि कैसे मरते हैं। 

 

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